रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल अफ़ेयर्स के फादी हाकूरा ने कहा कि राष्ट्रपति अर्दोआन ने तख़्तापलट की कोशिश को निर्णायक तौर से कुचल दिया है. लेकिन उनका यह भी मानना है कि तख़्तापलट की ये कोशिश दर्शाती है कि मुल्क तेज़ी से अस्थिर हो रहा है और राजनीतिक अनिश्चितता की ओर बढ़ रहा है. साथ ही मध्यपूर्व को प्रभावित करने वाले ग़हरे मतभेद का ख़तरा यहां भी बढ़ रहा है. इस्तांबुल की सड़कों पर लोगों की तरफ से जश्न मनाते देखे जा सकते हैं। समाचार एजेंसी एएफ़पी ने कहा है कि बाग़ी सैनिकों में से 104 मारे गए हैं. कार्यवाहक सेना प्रमुख जनरल उमित डुंडार ने टीवी पर कहा कि कुल 90 लोगों की मौत हो गई है. जिनमें से 47 आम नागरिक थे. इस्तांबुल के अतातुर्क हवाई अड्डे पर सेवाएँ बहाल होने के बावजूद अफरा-तफरी का माहौल.
बाग़ियों पर भारी पड़ रही जनता
रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज़ इंस्टीट्यूट में मध्य पूर्व मामलों के शोधार्थी माइकल स्टीफ़ेंस ने बीबीसी से कहा है कि तख़्तापलट की कोशिश अर्दोआन को नुक़सान पहुँचाएगी. उनका कहना है कि अर्दोआन को अब हुकूमत पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए जद्दो-जहद करना होगा. रिचर्ड कहते हैं, “तख़्तापलट की कोशिश के दौरान एक वक़्त ये पता नहीं था कि अर्दोआन कहां हैं जिससे ये छवि बनती है कि मुल्क पूरी तरह उनके कंट्रोल में नहीं है.”
पश्चिमी देशों के लिए तुर्की एक अहम नेटो सहयोगी है और इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ लड़ाई में तुर्की की अहम किरदार है. इसलिए तुर्की में अस्थिरता पश्चिमी देशों के लिए फिक्र का मौजू है.
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