जिले भर के कस्तूरबा गांधी “बालिका आवासीय विद्यालय” में क्लास छह से बारहवीं तक की पढ़ाई होती है। पढ़ रहे तालिबा की तादाद 18 सौ से ज़्यादा है। लेकिन, स्कूल में कंप्यूटर की पढ़ाई महज दिखावा बन कर रह गया है।
स्कूल में पढ़ रहीं तालिबा तकनीकी तालीम से पूरी तरह महरूम हो गयी हैं। मंसूबा के तहत स्कूलों में दस्तयाब कराये गये ज़्यादातर कंप्यूटर आज धूल फांक रहा है। ज़ाती महकमा अदाद पर गौर करें तो मंसूबा के तहत शुरू किये गये कंप्यूटर तालीम के लिए हर स्कूल में कंप्यूटर दस्तयाब कराया गया था। एजेंसी का कांट्रेक्ट खत्म होने के बाद पढ़ाई का जिम्मा स्कूल की असातिजा के जिम्मे था। कायदे से इसके लिए असातिजा को तरबियत भी दिया गया था। लेकिन, तरबियत हासिल कर चुके असातिजा कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं करा रही है।
कंप्यूटर, सीपीयू, यूपीएस बरबाद
तकनीकी तालीम के लिए स्कूल को दस्तयाब कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। नतीजा आज ज़्यादातर स्कूल में कंप्यूटर, सीपीयू व यूपीएस धूल फांक रहा है। जिला तालीम सुप्रीटेंडेंट ने कई दफा दस्तयाब कंप्यूटर की हालत और तकनीकी तालीम से मुतल्लिक़ पूरी रिपोर्ट मांगा। लेकिन, दफ्तर को रिपोर्ट दस्तयाब नहीं कराया गया है।
देहात परवरिश की तालिबा को तालीम के जरिये मजबूत कर समाज की असल स्ट्रीम से जोड़ने के साथ-साथ खुद की ताक़त बनाना था। कायदे से देवघर जिले के आठ ब्लॉक में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की शुरुआत की गयी। शुरुआती दौर में रिजल्ट पॉज़िटिव भी दिखा। पर, धीरे-धीरे यह भी दीगर सरकारी स्कूलों की कतार में खड़ा हो गया है।