कोलकाता: ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के तीन सांसदों ने आज मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का समर्थन करते हुए कहा है कि तीन तलाकके मामले में समान नागरिक संहिता लागू करने की कोई भी कोशिश कामयाब नहीं होने दी जाएगी, और तृणमूल कांग्रेस धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के सख्त खिलाफ है.
ETV के अनुसार,मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक 18 नवंबर से कलकत्ता में आयोजित होने वाली है. मजलिले इस्तकबालिया के एक कार्यक्रम में तृणमूल कांग्रेस के तीन सांसदों ने जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुल्तान अहमद जो मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के मजलिले इस्तकबालिया के अध्यक्ष भी हैं, बशीर हाट से सांसद इदरीस अली और राज्यसभा सांसद व बंगला दैनिक कलम के संपादक अहमद हसन इमरान ने सर्वसम्मति से कहा है कि मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भारतीय संविधानिक व्यवस्था के विपरीत हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है. मगर उन्हें सफल नहीं होने दिया जाएगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुल्तान अहमद ने कहा कि हम मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख का समर्थन करते हैं, भारत के संविधान ने देश के सभी जातीय, भाषायी और धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपने धर्म के पालन की स्वतंत्रता दी है.
उन्होंने कहा कि तीन तलाक की समस्या मुसलमानों की समस्या है. इस का समाधान उलेमा करेंगे. मगर महिलाओं के साथ अन्याय का शोशा छोड़ कर इस्लाम के निकाह और तलाक के नियमों में परिवर्तन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि जो लोग अन्याय के खात्मे की वकालत कर रहे हैं वे अपने दामन में झांकें, उनके यहाँ महिलाओं की क्या इज़्ज़त है, हिन्दुओं के यहां तलाक का कोई कानून ही नहीं था. मर्दों के उत्पीड़न के बावजूद महिलाओं को पुरुषों से स्वतंत्रता प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं था. मगर यह इस्लाम की देन है कि उन्होंने तलाक प्रणाली शुरू की है जिसके कारण लोग शांत जीवन जीरहे हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय मुसलमानों को भ्रमित और वोट बैंक की राजनीति कर रही है. अहमद हसन इमरान ने कहा कि समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन असंभव है. कियोंकि भारत में सैकड़ों जातियां और समुदाय हैं जो अपने रीति-रिवाजों के अनुसार शादी करते हैं. क्या सरकार उन्हें एक कानून पर सहमत कर सकती हैं. हिन्दुओं में भी दर्जनों ऐसे वर्ग हैं जो हिन्दू विवाह अधिनियम का पालन नहीं करते हैं.
अहमद हसन इमरान ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस का स्पष्ट रुख है कि धार्मिक स्वतंत्रता में किसी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. सांसद इदरीस अली ने भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता लागू नहीं होने दिया जाएगा.