तहलका के एडीटर तरुण तेजपाल की तरफ से मुबय्यना तौर पर Sexual harassment की शिकार मुतास्सिरा ने जुमे के रोज़ कहा कि तेजपाल ने उसके साथ जो किया, वह रेप की कानूनी इस्तेलाह (Law term) के दायरे में आता है। मुतास्सिरा ने अपनी शिकायत को चुनावी साजिश का हिस्सा करार दिए जाने पर भी ऐतराज किया।
तेजपाल के गोवा के रवाना होने से पहले अपने बयान में मुतास्सिरा सहाफी ने कहा कि चारों ओर से मिल रही ताईद से उसका हौसला बढ़ा है। दो पन्नों के बयान में उन्होंने कहा है, ‘हालांकि, मैं काफी फिक्रमंद हूं और इन इल्ज़ामात से काफी तकलीफ महसूस कर रही हूं कि मेरी शिकायत इल्केशन से पहले सियासी साजिश का एक हिस्सा है।’
ऐसे इल्ज़ामात को सीधे-सीधे खारिज करते हुए उन्होंने कहा है कि तेजपाल ने जो किया, वह रेप है। तेजपाल अपने असर व रसूख के लिए लड़ रहे हैं और मैं अपने इज़्ज़त के लिए। उन्होंने कहा, ‘मेरी यह लड़ाई अपने वकार और अपने हुकूक के लिए है कि मेरा जिस्म मेरा है। मेरे एम्पलॉयर का खिलौना नहीं।’
मुतास्सिरा ने कहा कि इस दर्दनाक तजुर्बे का सबसे मुश्किल हिस्सा कुछ चीजों से जूझना है। मैं नहीं जानती कि क्या मैं खुद को अपने साथियों , दोस्तों, हामियों और नाकदीन की नजर में एक ‘Rape victim’ के तौर पर देखने के लिए तैयार हूं।
उन्होंने कहा, ‘जुर्म की कटेगरी शिकार हुए लोग तय नहीं करता, कानून करता है… और इस मामले में कानून साफ है कि मिस्टर तेजपाल ने मेरे साथ जो किया वह रेप की कानूनी इस्तेलाह में आता है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस तरह के इल्ज़ामात को बिल्कुल खारिज करती हूं और इन दलीलों को सामने रखती हूं… अपनी जिंदगी और अपने जिस्म पर हक के लिए ख्वातीन की जद्दो जहद यकीनी तौर पर सियासी लड़ाई है… लेकिन महिलावादी सियासत (Feminist Politics) और उनकी फिक्र हमारे सियासी पार्टियों की तंग सोच से वसीअ तर है।’
उन्होंने इन इल्ज़ामात से इनकार किया कि वह किसी की शह पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के इल्ज़ाम कि मैं किसी के इशारों पर काम कर रही हूं हौसले को तोड़ने वाला है।’ पिछले हफ्ते टेलिविजन कमेंटेटरों ने मिस्टर तेजपाल की तरफ से Sexual harassment किए जाने के वक्त और उसके बाद, मेरे इरादों और मेरे कदमों पर सवाल उठाया।’
मुतास्सिरा ने कहा, ‘कुछ लोगों ने मेरे देर से शिकायत दर्ज कराने पर भी सवाल उठाया। कुछ ने तो ‘Sexual harassment’ बनाम ‘रेप’ अल्फाज़ के इस्तेमाल पर भी सवाल खड़ा किया। ‘ उन्होंने अपने इस मामले को नए Anti-Rape Law के लिए अग्निपरीक्षा भी करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘अब जबकि हमारे पास नया कानून है जो रेप की इस्तेलाह का दायरा बढ़ाता है, ऐसे में हमने जिस बात के लिए जद्दो जहद किया है, उस पर हमें कायम रहना चाहिए। हमने बार-बार कहा है, कैसे रेप सिर्फ Sexuality या सेक्स से मुताल्लिक नहीं है बल्कि इसका ताल्लुक इक्तेदार, खुसूस्सी इख्तेयारात और हक से भी है। यह नया कानून हर किसी पर लागू होना चाहिए यानी न सिर्फ गुमनाम अजनबियों पर बल्कि अमीरों , रसूख और ऊंची पहुंच वालों पर भी।’
उन्होंने कहा, यह रास्ता उनके लिए काफी मुश्किल भरा होगा क्योंकि उन्होंने ऐसा कर अपने ऊपर निजी और घिनौने हमले होने के लिए दरवाजा खोल दिया है।
मुतास्सिरा ने कहा कि तेजपाल की तरह, मैं अमीर नही हूं, मेरी मां ने अकेले ही अपनी आमद / तंख्वाह से मेरी परवरिश की, मेरे वालिद की सेहत कई साल से खराब चल रही है।
उसने कहा, ‘शिकायत दर्ज कर न सिर्फ मैंने अपनी नौकरी गंवाई, जो मुझे बहुत प्यारी थी बल्कि अपनी इक्तेसादी सेक्युरिटी भी खो दी। बतौर सहाफी रेप विकटिम की स्टोरी रिपोर्ट करने के अपने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘अपनी ज़िंदगी और अपनी मज़मून से मैंने हमेशा ही ख्वातीन से जिंसी जराइम (Sexual offenses) को लेकर मुंह खोलने की अपील की। इस वाकिया ने मुतास्सिरो को सामने आने वाली लाखों परेशानियों की तस्दीक की है।’
उन्होंने कहा कि पहले तो हमारे मुंह खोलने पर सवाल उठाया जाता है, फिर हमारे इरादे पर और आखिरकार कोई लीडर बयान जारी कर कहता है कि Sexual violence के खिलाफ बोलने से हमारे पेशेवर मुतास्सिर होंगे। दिल्ली हाई कोर्ट में दरखास्त देकर कहा जाता है कि मुतास्सिरा मामूल कैसे रही।
उन्होंने कहा कि अगर मैं इस मामले में चुप रहना पसंद करती तो मैं अपने आप से और Feminist Movement से नज़रें नहीं मिला पाती। कई लोग इस बात पर अफशोस जताते हैं कि इतना बड़ा इदारा तहलका इस परेशानी में है। तो यह परेशानी तहलका के चीफ एडीटर ने अपने किरदार से पैदा किया है न कि उस मुलाज़िम ने, जिससे बोलने की हिम्मत की।