तेलंगाना आख़िर कब तक

किसी भी बात की या किसी भी फ़ैसला की एक हद होती है हिंदूस्तान एक जमहूरी मुल्क है । जमहूरीयत मैं हुकूमतें अवाम की होती हैं और अवाम केलिए बनाई जाती हैं और अवाम की आवाज़ के लिए होती हैं ।

ऐसा मालूम हो रहा है कि हिंदूस्तान में बादशाहत चल रही है मिस्र और लीबिया की मिसाल सामने है अवाम जब बदल जाती है तो बड़ी से बड़ी हुकूमतों का तख़्ता उलट देती हैं ।

सयासी क़ाइदीन को भी हम अवाम ही मुंतख़ब करते हैं ख़ुदग़रज़ सयासी क़ाइदीन को भी चाहीए कि वो अवाम का पास-ओ-लिहाज़ रखे और अवाम की आवाज़ का एहतिराम करें । कांग्रेस हुकूमतों को चाहीए कि वो बानसवाड़ा के इलैक्शन और नतीजा से सबक़ हासिल करें ।

मर्कज़ी वुज़रा और हाई कमान को चाहीए कि अब किसी किस्म की भी मुज़ाकरात ना करें और जल्द से जल्द तेलंगाना के अवाम को तेलंगाना दे दें जिस का पचास साल से इंतिज़ार किया जा रहा है ।

ये कोई नई तहरीक नहीं है लेकिन हर बात की और किसी भी फ़ैसला की एक हद होती है ।

सारे तेलंगाना के हर गावं पर ज़िला और हर शहर के बच्चा बच्चा की ज़बान पर बस एक ही नारा है तेलंगाना हमारा है अगर कांग्रेस अपनी बक़ा चाहती है तो वो तेलंगाना का फ़ैसला बगै़र किसी मुज़ाकरात के जल्द से जल्द करदें वर्ना हिंदूस्तान से कांग्रेस का नाम-ओ-निशान मिट जाएगा और मुस्तक़बिल में अवाम कांग्रेस को भूल जाऐंगे ।

आज के दौर में कांग्रेस बदनाम हो चुकी है आंधरा के अवाम जो एहतिजाज कररहे हैं वो ग़ैर दस्तूरी ग़ैर जमहूरी अमल है क्योंकि तलंगाना के अवाम अपनी रियासत मांग रहे हैं किसी सयासी क़ाइदीन की दौलत या जायदाद नहीं मांग रहे हैं दस्तूर हिंद और जमहूरीयत में अपना हक़ मांगने का हर एक को हक़ हासिल है ।

क़दीम ज़माना में इलैक्शन का टिकट ऐसे शख़्स को देते थे जो आली तालीम-ए-याफ़ता हो अच्छे ख़ानदान और अच्छे घराने से ताल्लुक़ रखता हो लेकिन आज के दौर में ग़ुंडों को टिकट दिया जा रहा है जिस को सियासत किया है नहीं मालूम जमहूरीयत किस को कहते हैं नहीं मालूम एक मज़ाक़ हो गया है ।