आंध्र प्रदेश की तक़सीम और दो नई रियासतों के क़ियाम के बाद से अक़लीयती बहबूद के उमूर के बारे में हुकूमतों की अदम दिलचस्पी बाइसे तशवीश है। तेलंगाना हो कि आंध्र प्रदेश दोनों हुकूमतों ने अभी तक अपनी रियासतों के अक़लीयतों के बहबूद के बारे में कोई ठोस क़दम नहीं उठाया। अगर्चे दोनों हुकूमतों ने अक़लीयतों की बहबूद के सिलसिले में कई वाअदे किए हैं लेकिन उन पर अमल आवरी की सिम्त कोई क़दम उठता दिखाई नहीं देता।
तेलंगाना हुकूमत ने एस सी, एस टी और बी सी तबक़ात की बहबूद के साथ अक़लीयती बहबूद को जोड़ दिया और तमाम क़लमदान चीफ मिनिस्टर चन्द्र शेखर राव ने अपने पास रखे हैं। हुकूमत की जानिब से अक़लीयती बहबूद के मसअले पर अभी तक कोई आला सतही इजलास तलब नहीं किया गया।
तेलंगाना में महकमा अक़लीयती बहबूद के लिए कोई अलाहिदा प्रिंसिपल सेक्रेट्री का तक़र्रुर नहीं किया गया और अक़लीयती इदारों के अहम ओहदों पर तक़र्रुरात पर तवज्जा नहीं दी गई।
आंध्र प्रदेश की हुकूमत भी कुछ इसी तरह अक़लीयती बहबूद को नज़र अंदाज कर रही है। दोनों हुकूमतों की तरजीहात दीगर शोबाजात पर मर्कूज़ हो चुकी है जबकि अक़लीयतों और दीगर कमज़ोर तबक़ात के लिए दोनों हुकूमतों की जानिब से सिर्फ़ वाअदे किए जा रहे हैं।