हुकूमत की मनमानी से जम्हूरियत का ख़ून, काउंसल में डी श्रीनिवास और हरीश राव के दरमियान नोक झोंक
क़ाइद अपोज़िशन काउंसल डी श्रीनिवास और रियासती वज़ीर आबपाशी-ओ-उमूर मुक़न्निना हरीश राव के दरमियान नोक झोंक हो गई। आज जैसे ही सदर नशीन काउंसल के इंतेख़ाब के लिए काउंसल के इजलास का आग़ाज़ हुआ, डी श्रीनिवास ने रिवायत के ख़िलाफ़ इंतेख़ाब कराने का हुकूमत पर इल्ज़ाम आइद किया और कहा कि मनमानी करते हुए जम्हूरियत का ख़ून किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दस दिन क़ब्ल काउंसल के इजलास से ख़िताब करते हुए चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्र शेखर राव ने जमाती वाबस्तगी से बालातर होकर काम करने का एलान किया था, ताहम इस के बाद क़ानूनसाज़ काउंसल के सदर नशीन का ओहदा हासिल करने के लिए कांग्रेस के अरकान में फूट डाल कर और लालच दे कर इन्हीं टी आर एस में शामिल किया गया।
उन्होंने कहा कि रियासत में ख़ुशकसाली के इलावा दीगर कई मसाइल हैं, लेकिन इन सब को नजरअंदाज़ करके सदर नशीन के इंतेख़ाब के लिए काउंसल का ख़ुसूसी इजलास तल्ब किया गया और खु़फ़ीया राय दही की जा रही है, जिस की कांग्रेस पार्टी सख़्त मुख़ालिफ़त और फ़ौरी इंतेख़ाब को मुल्तवी करने का मुतालिबा करती है।
इसी दौरान हरीश राव ने जवाब देते हुए कहा कि क़ादे के मुताबिक़ ही सदर नशीन काउंसल का इंतेख़ाब अमल में लाया जा रहा है। इंतेख़ाब के ताल्लुक़ से तमाम अरकान को मालूमात फ़राहम करदी गई है और आलामिया भी जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने भी इंतेख़ाब को तस्लीम करते हुए अपने उम्मीदवार की पर्चा नामज़दगी दाख़िल की है, लिहाज़ा इंतेख़ाबी अमल शुरू होने के बाद उसको ग़ैर जम्हूरी क़रार देना या इलतेवा का मुतालिबा करना ग़ैर वाजिबी है।
उन्होंने कहा कि अगर क़ाअदे क़ानून पर एतराज़ है तो कमेटी तशकील दे कर इस पर ग़ौर किया जा सकता है, ताहम इंतेख़ाब के इलतिवा का मुतालिबा मज़हकाख़ेज़ है और डी श्रीनिवास जैसे सीनियर क़ाइद की जानिब से इस तरह का मुतालिबा मुनासिब नहीं है। उन्होंने कहा कि इंसिदाद इन्हिराफ़ क़ानून और सदर नशीन के इंतेख़ाब से कोई ताल्लुक़ नहीं है, दरअसल कांग्रेस को अपनी शिकस्त का ख़ौफ़ है और राय दही कराने की सूरत में इस के मज़ीद अरकान विहिप की ख़िलाफ़वरज़ी करने के डर से कांग्रेस ने मुक़ाबला से दस्त बर्दारी के अलावा वाक आउट किया, लिहाज़ा पर्चा नामज़दगी के इदख़ाल के बाद इंतेख़ाब के इलतिवा के मुतालिबे पर माज़रत ख़्वाही का वो क़ाइद अपोज़िशन को मश्वरा देते हैं।