तेलंगाना के सिकंदराबाद में कालापानी की जेल जहां आज़ादी की कई मत्वालों को फांसी दी गई

हैदराबाद: अंडमान और निकोबार‌ द्वीप में काला पानी जेल मशहूर थी जहां अंग्रेजों ने कई स्वतंत्रता के मतवालों को काफी खतरनाक सजा दी थी लेकिन तेलंगाना के सिकंदराबाद में भी ऐसी ही जेल अंग्रेजों ने निर्माण किया था जो कालापानी जेल से कहीं अधिक खतरनाक थी जेल के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं लेकिन यह जेल अंग्रेजों ने इस कदर खतरनाक तरीके बनाई थी कि अंडमान द्वीप काला पानी की सजा भी इसमें सजा पाने वालों से कम थी।

इसमें स्वतंत्रता लिए लड़ाई लड़ने वालों को बुरी तरह यातनाएं दी जाती थीं| ये जेल सिकंदराबाद कंटोनमेंट क्षेत्र के तिलमगिरी जंकशन से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित‌ है| इस जेल में लगभग 500 लोगों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी ज्यादातर संख्या स्वतंत्रता के मतवालों या फिर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने वालों की थी।

इस जेल से परिचित इमारते सैन्य क्षेत्र के अंदर है जहां किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है| यह जेल, हैदराबाद में ब्रिटिश रेजिडेंसी में 1857 में तुर्रा बाज खान और मौल की आभरकयादत अंग्रेजों बलवा और हमले के एक साल बाद बनी थी| बर्तानवी सरकार ने इस हमले के बाद खुद को गैर महतु कल्पना किया था जिसके बाद उसने जल्दबाजी में इस जेल का निर्माण पूरा करवाया|

केंद्र सरकार ने अंडोमान‌ द्वीप जेल को राष्ट्रीय संग्रहालय में बदल दिया है लेकिन 159 साल पुराने सिकंदराबाद इस जेल केंद्र की ओर से विरासत वह स्थान जहां इमारत या ऐतिहासिक महत्व पर विचार नहीं किया जाता है। ब्रिटिश अदालतों की ओर से लोगों को दी जाने वाली फांसी की सजा की इस जेल में अनुपालन जाती थी फांसी देने का एक अलग‌ कक्ष भी था| सरकारी रिपोर्टों के अनुसार यह जेल 4.71 लाख रुपये के सरफ़ा से निर्माण किया गया था। इस जेल से अंडमान जेल छोटी है इसमें सेंट्रल घड़ी टॉवर, कैदियों के 75 टीबी, फांसी देने कक्ष भी मौजूद है।