तेलंगाना के ख़िलाफ़ दरख़ास्त की समाअत से सुप्रीम कोर्ट का इत्तिफ़ाक़

सुप्रीम कोर्ट ने आज अलाहिदा रियासत तेलंगाना के क़ियाम के लिए बिल पार्लियामेंट में मुतआरिफ़ कराने से मर्कज़ को रोकने की ख़ाहिश करते हुए दायर करदा मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त की समाअत से इत्तिफ़ाक़ करलिया।

चीफ़ जस्टिस पी सथासीवम की ज़ेरे क़ियादत बेंच ने इस मुक़द्दमा की समाअत 8 फ़बरोरी को मुक़र्रर की है। अदालत इस बात का जायज़ा लेगी कि आंध्र प्रदेश असेंबली की तरफ से बिल को मुस्तर्द करने के बाद क्या उसे पार्लियामेंट में मुतआरिफ़ किया जा सकता है या नहीं।

एडवोकेट एम एल शर्मा ने मफ़ादे आम्मा की दरख़ास्त दायर करते हुए कहा है कि दफ़ा 3 की गुंजाइश के तहत सदर जमहूरीया आंध्र प्रदेश तंज़ीम जदीद बिल 2013 को रियासती असेंबली की मर्ज़ी / क़रारदाद के बरअक्स पार्लियामेंट में मुतआरिफ़ करने की सिफ़ारिश नहीं करसकते।

उन्होंने कहा कि रियासत की तक़सीम से यहां रहने वालों की ज़िंदगी और उनकी आज़ादी मुतास्सिर होगी। चुनांचे उसे रोक दिया जाना चाहीए। दरख़ास्त में कहा गयाहै कि बिल को असेंबली में शिकस्त के बावजूद मौजूदा सियासतदां जो इक़तिदार पर फ़ाइज़ हैं उसे पारलीमानी सेशन में पेश करने के दरपे हैं। उन्होंने कहा कि पारलीमानी चुनाव अप्रैल / मई में मुनाक़िद शुदणी है और इस से एक माह पहल्रे इलेक्शन कमीशन की तरफ से चुनाव आलामीया जारी कर दिया जाएगा।