नई दिल्ली 15 अप्रैल: सुप्रीमकोर्ट ने नई रियासत तेलंगाना के तक़रीबन 400 सरकारी स्कूलस् में स्टूडेंट्स के सिफ़र दाख़िले का सख़्त नोट लेते हुए माहिरीन के पैनल की रिपोर्ट तलब की है ताकि बच्चों की स्कूली तालीम से दूरी की वजूहात मालूम की जा सकें। अदालत ने अपनी तशवीश का उस वक़्त इज़हार किया जब हुकूमते तेलंगाना ने मतला किया कि साल 2015-16में 18,139 प्राइमरी स्कूलस के मिनजुमला 398 स्कूलस में एक भी स्टूडेंट् ने दाख़िला नहीं लिया।
980 स्कूलस में स्टूडेंट् की तादाद एक ता 10 और 2,333 स्कूलस में स्टूडेंट् की तादाद 11 ता 20 रही। जस्टिस दीपक मिश्रा की ज़ेरे क़ियादत बेंच ने कहा कि कोई तालीमीइदारा जहां स्टूडेंट् ना हूँ, बिलकुल सेहत से आरी शख़्स के वजूद की तरह है या फिर बे-मक़्सद ज़िंदगी गुज़ारने के बराबर है। उन्होंने कहा कि हक़ तालीम एक बुनियादी हक़ है। रियासत की ये ज़िम्मेदारी है कि वो एक ता 14 साल के बच्चों को लाज़िमी तौर पर तालीम फ़राहम करे और इस पर ख़ुसूसी तवज्जा दे।
बेंच में जस्टिस शेवा कीर्ति सिंह भी शामिल हैं। बेंच ने कहा कि स्कूलस में तमाम-तर इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहीए और हक़ मुफ़्त-ओ-लाज़िमी तालीम एक्ट पर बेहतर अमल यक़ीनी बनाना चाहीए।