मर्कज़ी काबीना ने बरसों से तात्तुल का शिकार मसले को हल करने की राह हमवार करते हुए अलाहिदा रियासत तेलंगाना की तशकील को मंज़ूरी दी है जोकि एक लायक़ तहसीन इक़दाम है।
जनाब ज़ाहिद अली ख़ान एडीटर रोज़नामा सियासत ने मर्कज़ी काबीना की तरफ से तशकीले तेलंगाना को मंज़ूरी दिए जाने पर अपने रधे अमल का इज़हार करते हुए कहा कि मर्कज़ी काबीना ने जो इक़दाम किया है, इस से तेलंगाना अवाम में ख़ुशी की लेहर दौड़ गई है, लेकिन मजलिस बलदिया अज़ीम तर हैदराबाद के हदूद में अमन-ओ-ज़बत की सूरते हाल की निगरानी गवर्नर के सपुर्द किया जाना अफ़सोसनाक अमर है।
एडीटर सियासत ने बताया कि बिल के मुसव्वदा का जायज़ा लेने के बाद सियासी जमातों को चाहीए कि वो इस मुआमले में अपने तहफ़्फुज़ात का खुल कर इज़हार करें ताकि मजलिस बलदिया अज़ीम तर हैदराबाद के हदूद को हुकूमत तेलंगाना के कंट्रोल में लिया जा सके।
जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने बताया कि पिछ्ले 60 बरसों से तेलंगाना अवाम अलाहिदा रियासत तेलंगाना के हुसूल के लिए जद्द-ओ-जहद कररहे थे और मुल्क की इस रियासत के लिए हज़ारों नौजवानों ने अपनी जानें क़ुर्बान की हैं। उन्होंने बताया कि मर्कज़ की तरफ से किया गया फैसला ख़ाह वो सियासी मुफ़ादात के हुसूल के लिए होया फिर तेलंगाना अवाम को इंसाफ़ की फ़राहमी के लिए हो, किसी भी सूरत में ये फैसला तेलंगाना अवाम के मुफ़ादात के तहफ़्फ़ुज़ का नक़ीब साबित होने का रोशन इमकान है।
जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने बताया कि तशकीले तेलंगाना की राहें हमवार होने के साथ साथ तेलंगाना में तमाम तबक़ात खासकर् मुसलमानों के साथ इंसाफ़ के अमल को यक़ीनी बनाने और उनकी समाजी, मआशी-ओ-तालीमी तरक़्क़ी की राह में रुकावटों को दूर करते हुए उन्हें सरकारी मुलाजिमतों में मुसावी हिस्सा देने की पॉलीसी इख़तियार की जानी चाहीए।
उन्होंने अलाहिदा रियासत तेलंगाना के लिए जद्द-ओ-जहद करनेवाली सियासी जमातों को 6 दिसंबर के पेश नज़र किसी तरह का जश्न मनाने से गुरेज़ करने का मश्वरा देते हुए कहा कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद शहादत की याद ताज़ा होती है। उसे मौके पर तेलंगाना हामियों को चाहीए कि वो मुसलमानों के जज़बात का ख़्याल करते हुए अपने सेकूलर और गंगा जमुनी तहज़ीब की रवायात को बरक़रार रखें।