अलैहदा तेलंगाना मसला पर मर्कज़ी वज़ीर पी चिदम़्बरम के ब्यान से तेलंगाना के हामी जमातों और तंज़ीमों में मायूसी पाई जाती है। मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला की हैसियत से कल अपनी आख़िरी प्रैस कान्फ़्रैंस में चिदम़्बरम ने फिर एक बार तेलंगाना मसला पर इत्तिफ़ाक़ राय को ज़रूरी क़रार दिया और वही बात दुहराई जो तवील अर्सा से वो कहते आरहे हैं।
उन्हों ने कहा कि वज़ारात-ए-दाख़िला का काम रियासत तशकील देना नहीं बल्कि ये काम तो हुकूमत का है और वोज़ारत का काम हुकूमत के फ़ैसले पर अमल करना है। उन्हों ने कहा कि तेलंगाना मसला पर मुख़्तलिफ़ सियासी जमातों से राय हासिल होनी अभी बाक़ी है और इत्तिफ़ाक़ राय होने तक हुकूमत कोई फ़ैसला नहीं कर सकती।
टी आर ऐस तर्जुमान ने कहा कि चिदम़्बरम को 9 डिसमबर 2009-ए-के अपने ब्यान को फ़रामोश नहीं करना चाहीए जिस में उन्हों ने अलैहदा रियासत तेलंगाना की तशकील का ऐलान किया था, बाद में मर्कज़ ने इस ब्यान से इन्हिराफ़ कर लिया।
तर्जुमानने कहा कि टी आर ऐस मुज़ाकरात के बजाय एजीटशन के ज़रीया तेलंगाना के हुसूल पर यक़ीन रखती है। प्रोफ़ैसर कूदनडा राम ने बताया कि उन्हें चिदम़्बरम के ब्यान पर कोई हैरत नहीं।
तेलंगाना जे ए सी अपनी तहरीक में शिद्दत पैदा करेगी और मर्कज़ पर दबाव बनाया जाएगा।
उन्हों ने तेलगू देशम और वाई ऐस आर कांग्रेस पार्टी से मुतालिबा किया कि तेलंगाना मसला पर अपना मौक़िफ़ वाज़ेह करें।