हैदराबाद 09 जून: रियासत की तक़सीम के बाद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भारी अक्सरीयत से इक़तिदार हासिल करने वाली तेलुगू देशम और तेलंगाना राष़्ट्रा समीती को दो बरसों में कोई सख़्त अप्पोज़ीशन का सामना नहीं रहा और कोई सियासी जमात हुकूमत के ख़िलाफ़ सख़्त अप्पोज़ीशन साबित नहीं हुई लेकिन दोनों रियासतों की हुकूमत को अब अवामी तहरीकात का सामना करना पड़ रहा है।
रियासत तेलंगाना में प्रोफेसर कोदंदराम के हुकूमत के ख़िलाफ़ उठ खड़े होने के बाद एसा लगता है कि रियासत में एक मर्तबा फिर तेलंगाना तहरीक की तरह स्टूडेंट तहरीक शुरू होने के ख़दशात से हुकूमत ख़ौफ़ज़दा नज़र आरही है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में बीसी क़ाइद मुद्रगडा पद्मनाभम की तरफ से चलाई जा रही कापू रिजर्वेशन तहरीक हुकूमत आंध्र प्रदेश को परेशान किए हुए है।
हुकूमत तेलंगाना की दो बरस की कारकर्दगी पर प्रोफेसर कोदंदराम रेड्डी ने जो सवाल उठाए इस पर हुकूमत ने जिस तरह से रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया है उसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि हुकूमत को किसी सियासी जमात से ज़्यादा तेलंगाना जवाइंट एक्शण कमेटी से ख़तरा है।
प्रोफेसर कोदंदराम रेड्डी जो तहरीक तेलंगाना में सरगर्म थे और पिछ्ले दो बरसों से ख़ामोश तमाशाई बने हुए थे लेकिन अब जबकि तेलंगाना का दूसरा फार्मेशन डे मनाया गया तब उन्होंने हुकूमत के एलानात और उन पर अमल आवरी के मुताल्लिक़ उठाने शुरू किए जिस पर हुकूमत के तमाम वुज़रा ने जवाबी हमले शुरू कर दिए जबकि हुसूले तेलंगाना के लिए टीआरएस ने स्टूडेंट बिरादरी को तहरीक से वाबस्ता रखने के लिए प्रोफेसर जय शंकर और प्रोफेसर कोदंदराम रेड्डी के हाथों तहरीक तेलंगाना की कमान दे रखी थी। इक़तिदार के हुसूल के बाद नौजवानों को मुलाज़िमतों की फ़राहमी मुसलमानों को 12 फ़ीसद रिजर्वेशन की फ़राहमी और दुसरे फ़लाही इक़दामात के एलानात के बावजूद हुकूमत की तरफ से कोई अमल ना किए जाने पर अप्पोज़ीशन ने काइ मर्तबा तन्क़ीदें कीं लेकिन इस पर हुकूमत ने कोई रद्द-ए-अमल ज़ाहिर नहीं किया बल्के ख़ामोश तमाशाई बनी रही लेकिन प्रोफेसर कोदंदराम रेड्डी की तरफ खुलते ही सारी काबीना ने हंगामा-आराई करते हुए ये तास्सुर देदिया है कि रियासत में कोदंदराम अपनी अलाहिदा ताक़त रखते हैं और एक मर्तबा फिर वो स्टूडेंटस की तहरीक का आग़ाज़ करते हुए हुकूमत को ललकारने की ताक़त रखते हैं।
टीआरएस की तरफ से अप्पोज़ीशन को कमज़ोर करने की तमाम-तर कोशिशों के बावजूद सिर्फ़ प्रोफेसर कोदंदराम रेड्डी जिन्हें तेलंगाना गांधी कहा जाता है के एक बयान पर हंगामा हुकूमत के ख़ौफ़ को आशकार कर रहा है। इसी तरह रियासत आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम ने भारी अक्सरीयत से कामयाबी हासिल करने के बाद अप्पोज़ीशन को कमज़ोर करने की कोशिशें शुरू की थीं और उन पर अब तक भी अमल किया जा रहा है।
तेलुगू देशम हुकूमत को अप्पोज़ीशन से कोई ख़तरा नहीं है लेकिन कापू रिजर्वेशन का मुतालिबा कर रहे बीसी क़ाइद मुद्रगडा पद्मनाभम ने हुकूमत आंध्र प्रदेश की नाक में दम कर रखा है और इस मसले पर वो तेज़ी के साथ अवामी मक़बूलियत हासिल करते जा रहे हैं जो कि हुकूमत के लिए तकलीफ़-दह साबित हो सकता है।
रियासत आंधरा प्रदेश-ओ-तलंगाना में बरसर-ए-इक्तदार जमातों की जानिब से अवामी मुतालिबात को नजरअंदाज़ करते हुए मन-मानी चलाई जा रही थी लेकिन अब दोनों रियास्तों में अवामी क़ाइदीन की जानिब से शुरू होने वाली तहरीक हुकूमत के लिए मुश्किलात पैदा कर सकती है।
रियासत आंध्र प्रदेश में कापू रिजर्वेशन तहरीक में पैदा होती जा रही शिद्दत को देखते हुए एसा महसूस हो रहा है कि हुकूमत आंध्र प्रदेश पर उस के असरात मुरत्तिब होंगे और इतना ही नहीं कापू तबक़ा के लिए जारी तहरीक का असर रियासत तेलंगाना में मुस्लिम रिजर्वेशन की तहरीक पर भी होने का इमकान है चूँकि कोदंदराम रेड्डी ने तेलंगाना में 12 फ़ीसद मुस्लिम रिजर्वेशन के वादे को भी हुकूमत की धोका दही की फ़हरिस्त में शामिल कर लिया है और ये सवाल किया कि आख़िर मुसलमानों को क्युं धोका दिया जा रहा है। आंध्र प्रदेश में बीसी क़ाइद को हासिल होने वाली अवामी ताईद से हुकूमत में बेचैनी पाई जाती है और हुकूमत की तरफ से इस तहरीक को बग़ैर किसी तशद्दुद के ख़त्म करवाने की कोशिश की जा रही है।
दोनों रियासतों की हुकूमतों की तरफ से इख़तियार करदा रवैये से परेशान अप्पोज़ीशन सियासी जमातें इन तहरीकात के साथ ही उठ खड़ी हुई हैं और ये दावे कर रही हैं कि रियासतों में मज़बूत अप्पोज़ीशन ना होने के सबब ये सूरत-ए-हाल पैदा हुई है। रियासत तेलंगाना में प्रोफेसर कोदंदराम को जमिआत के स्टूडेंटस की जिस तरह ताईद हासिल है इसी तरह मुद्रगडा पद्मनाभम को भी आंध्र प्रदेश के जमिआत के स्टूडेंटस-ओ-पसमांदा तबक़ात की ग़ैर मशरूत ताईद हासिल होती जा रही है।