आंध्र प्रदेश नौ तश्कील बिल -2014 जुमेरात के रोज़ राज्यसभा में शोरगुल व हंगामे के बीच आखिरकार पास हो गया। भाजपा ने रूलिंग पार्टीयू पीए की ताईद की हालांकि भाजपा की ओर से अपने सारे ऐतराज़ और खदशात को जाहिर किया गया। लीडर अरूण जेटली व आंध्र से आने वाले वैंकैया नायडू सबसे ज़्यादा सख्त रहे। इस बिल को अब सदर जम्हूरिया के पास भेजा जाएगा। सदर जम्हूरिया के दस्तखत के बाद तेलंगाना मुल्क का 29वां रियासत बन जाएगा। टीएमसी ने इस बिल पर वोटिंग के दौरान ऐवान से वाकआऊट किया।
वहीं, एनसीपी ने भी वोटिंग के दौरान वाकआऊट किया। यह बिल लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है। इससे पहले बिल पर बहस में सभी पार्टियों के लीडरों ने अपने ख्याल रखे और तेलंगाना मुखालिफीन का शोर जारी रहा। बहस के आखिर में लीडर अरूण जेटली,कपिल सिब्बल व आखिर में वज़ीर ए आज़म मनमोहन सिंह ने ख्याल रखे। पीएम जब बोल रहे थे तब भी मुखालिफत में नारेबाजी जारी रही, कागज फाड़ कर फेंके जाते रहे लेकिन पीएम को कांग्रेसी लीडरों ने घेरे रखा। इसके बाद जब बिल पास कराने का अमल शुरू हुआ तो भाजपा के वैंकैया नायडू ने सीमांध्र को 5 की बजाय 10 साल तक खुसूसी रियासत का दर्जा देने की मांग की जो नकार दी गई।
उन्होंने वोटों की तक्सीम की बात कही तो नायब स्पीकर पीजे कुरियन ने ऐवान में जारी हंगामे में ऐसा कराने में ना अहली जाहिर की। इसके बाद सारी तरमीम पास कर दिए गए। नायडू कई मुद्दों पर सरकार से सफाई मांगते रहे। उन्हें देही तरक्कियाती वज़ीर जयराम रमेश ने अपने जवाबों से मुतमईन किया। इससे पहले बहस के दौरान भाजपा समेत कई पार्टीयों के अरकान ने तेलंगाना बिल की ताईद करते हुए सीमांध्र इलाके के लोगों के मुफाद की हिफाज़त के लिए खास ध्यान दिए जाने की जरूरत पर ज़ोर दिया। वहीं एक मरकज़ी वज़ीर ने बिल की मुखालिफत कर हुकूमत को बेचैनी में डाल दिया। तेदेपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस समेत कई पार्टियों मे अरकान ने भी इस बिल का सख्त एहतिजाज किया। बहस में हिस्सा लेते हुए टूरिज़्म मिनिस्टर चिरंजीवी ने मौजूदा हालात में बिल विकी मुखालिफत की और तेलंगाना और सीमांध्र दोनों इलाको पर ध्यान दिए जाने की वकालत की।
उन्होंने कहा कि इस बिल पर रियासत वज़ीर ए आला के इलावा दिगर लीडरों के साथ सलाह मशविरा नहीं किया गया। इस मुद्दे पर अपनी हुकूमत की मुज़म्मत करते हुए चिरंजीवी ने भाजपा, तेदेपा समेत कई पार्टीयों पर भी निशाना साधा और इल्ज़ाम कि तेलंगाना मुद्दे पर दोहरे मयार अपनाए गए हैं। इसके बादअपोजिशन के लीडर अरूण जेटली ने निज़ाम का सवाल उठाते हुए सवाल कहा कि क्या कोई वज़ीर अपनी हुकूमत के ही खिलाफ बोल सकता है। इस पर नायब स्पीकर पीजे कुरियन ने कहा कि यह मेम्बर पर मुंहसिर करता है कि वह क्या बोलना चाहते हैं और यह हुक्मरान फरीक़ पर है कि वह बोलने के लिए किस मेम्बर को इज़ाज़त देता है। चिरंजीवी ने अपने पहली तकरीर में कहा कि अलाहिदा रियासत के मुद्दे पर उनकी ज़ाती राय में कोई तब्दीली नहीं हुई है लेकिन वह अपनी पार्टी के फैसले पर अमल करेंगे। उन्होंने कहा कि वह रियासत के करो़डों तेलुगू लोगों की ओर से बोल रहे हैं और वह किसी एक इलाके की ओर से नहीं बोल रहे हैं। उन्होेने हैदराबाद को Union Territory बनाए जाने की मांग की। बिल पर भाजपा के एम वेंकैया नायडू ने बहस की शुरूआत करते हुए कहा कि वह तेलंगाना बनाए जाने की हिमायत में हैं लेकिन सीमांध्र इलाके की तरक्की की ओर भी पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि तेलंगाना मुद्दे को लेकर रूलिंग पार्टी की ओर से उनकी पार्टी पर कई बार गलत इल्ज़ाम लगाए जाते रहे हैं जबकि खुद कांग्रेस में ही इस मुद्दे पर एक राय नहीं है और आंध्र प्रदेश विधानसभा में इसके एहतिजाज में तजवीज भी लायी गयी। उन्होंने आमइंतेखाबात के ठीक पहले नए रियासत की तश्कील पर सवाल उठाए। उन्होंने सीमांध्र के लिए मुनासिब इक्तेसादी पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा कि हैदराबाद की ही तरह सीमांध्र इलाके में भी तालीमी इदारे कायम किए जाने चाहिए।
उन्होंने रायलसीमा समेत अदिगर पिछडे इलाको की तरक्की किए जाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि माकपा समेत सभी पार्टियों ने तेलंगाना बनाए जाने की ताईद की है। माकपा के सीताराम येचुरी ने नायडू की इस बात का जिरह किया और कहा कि उनकी पार्टी हमेशा तक्सीम की मुखालिफत में रही है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश की तक्सीम के लिए कांग्रेस और भाजपा जिम्मेदार हैं। बसपा लीडर मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी बड़े रियासतों को तक्सीम कर छोटी रियासत बनाए जाने केकी ताईद में है। उन्होंने रियासत की तंज़ीम नौ कमीशन (Restructuring Commission) के जरिए बडे रियासतों की तक्सीम किए जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जब उनकी पार्टी की हुकूमत थी तो इस ताल्लुक में एक तजवीज पास कर मरकज़ को भेजा गया था। लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। उन्होंने तेलंगाना में दारुल हुकूमत के मुद्दे पर जल्दी फैसला किए जाने की भी मांग की। उन्होंने उत्तर प्रदेश की 17 जातियों को दर्ज़ फहरिस्त ज़ात (Scheduled caste) में शामिल किए जाने की भी मांग की। जदयू के एनके सिंह ने सीमांध्र की तरह बिहार समेत दूसरे पसमांदा रियासतों को भी खुसूसी पैकेज देने की मांग की। उन्होंने इल्ज़ाम लगाया कि हुकूमत की ओर से बिहार के साथ जो वायदा किया गया था, उसे पूरा नहीं किया गया।