तेलूगू के साथ हुकूमत की मेहरबानीयां उर्दू के साथ नाइंसाफ़ी

रियासत की सरकारी ज़बान तेलूगू की तरक़्क़ी और तरवीज के बारे में हुकूमत तो काफ़ी संजीदा है लेकिन दूसरी सरकारी ज़बान उर्दू अभी भी ज़बूँहाली का शिकार है। तेलूगू पर हुकूमत की मेहरबानीयां और उर्दू के साथ नाइंसाफ़ी की आख़िर क्या वजह है जबकि ख़ुद हुकूमत ने 14 अज़ला में उर्दू को दूसरी सरकारी ज़बान का मौक़िफ़ फ़राहम किया है।

तिरूपति में गुज़श्ता दो दिन आलमी तेलूगू कान्फ़्रैंस शानदार पैमाना पर मुनाक़िद की गई। इस कान्फ़्रैंस के इनइक़ाद पर उर्दू वालों को कोई एतराज़ नहीं इस लिए कि तेलूगू ज़बान रियासत की सरकारी ज़बान है और उर्दू को किसी और ज़बान से कोई दुश्मनी या इख़तिलाफ़ नहीं है ताहम अहल-ए-उर्दू चाहते हैं कि जिस तरह हुकूमत तेलूगू ज़बान के साथ मुशफ़िक़ाना सुलूक कररही है इस का कुछ हिस्सा उर्दू के हिस्सा में भी आए।

उर्दू एकेडेमी का मौजूदा बजट सिर्फ़ 7 करोड़ 40 लाख रुपये है जिस में शादी ख़ानों के लिए 2 करोड़ रुपये मुख़तस किए गए हैं कम्पयूटर सेंटर्स और लाइब्रेरीज़ के लिए मुख़तस बजट को निकाल दें तो फ़रोग़ उर्दू से मुताल्लिक़ स्किमात के लिए सिर्फ़ 50लाख रुपये ही बच जाते हैं।इन पच्चास लाख रूपियों में उर्दू एकेडेमी उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी और तरवीज का काम किस तरह अंजाम दे पाएगी।

इस रक़म के ज़रीया एकेडेमी उर्दू शोरा अदीबों, सहाफ़ीयों को इनामात, उर्दू असातिज़ा, तलबा को इनामात के इलावा उर्दू किताबों को इनामात फ़राहम करती है। होना तो ये चाहीए कि हुकूमत फ़रोग़ उर्दू के मद के तहत उर्दू एकेडेमी को कम से कम 5 करोड़ रुपये मुख़तस करे ताकि वो उर्दू मीडियम मदारिस में बुनियादी सहूलतों की फ़राहमी,

उर्दू मीडियम में ज़ेर-ए-तालीम तलबा को निसाबी कुतुब और दीगर दरकार तालीमी अशीया की फ़राहमी और दीगर उमूर अंजाम दे सके।तेलूगू एकेडेमी और सरकारी ज़बान कमीशन के ज़रीया हुकूमत तेलूगू ज़बान के फ़रोग़ के लिए हर मुम्किन इक़दामात कररही है लेकिन उर्दू ज़बान के फ़रोग़ के लिए वाहिद इदारा उर्दू एकेडेमी है जिस के लिए ख़ातिर ख़वाह फ़ंडज़ तक दस्तयाब नहीं हैं।