रांची : सात साल पुराने एक मुजरिमाना मामले में वज़ीरे आला रघुवर दास और फ़ूड सप्लाय वजीर सरयू राय अदालती मजिस्ट्रेट एनके विश्वकर्मा की अदालत से बरी कर दिए गए। जुमेरात को फैसला सुनाने के दौरान अदालत ने कहा कि सुबूत के बिना आप दोनों को बरी किया जाता है। फैसला दिन के 2.45 बजे सुनाया गया। इल्ज़ाम था कि 19 मई 2008 को भाजपा कार्कुनान की कियादत करते हुए रघुवर दास और सरयू राय ने दफा 144 का खिलाफवर्जी किया और बैरिकेडिंग तोड़ कर सीएम रिहाईशगाह में घुसे थे। उस दौरान पुलिस और इंतेजामिया अफसरों पर हमला भी किया गया।
वाकिया के दिन सीएम हाउस पर मजिस्ट्रेट के तौर में तैनात ओरमांझी के बीडीओ सुरजीत कुमार सिंह ने गोंदा थाने में दोनों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। इसमें पांच गवाहों के बयान दर्ज कराए थे। चार्जशीट के मुताबिक पांच और गवाहों का बयान दर्ज कराना था। इनमें एडिशनल जिला मजिस्ट्रेट रवि कुमार, पुलिस इंस्पेक्टर बच्चालाल मिश्रा, जैप हवलदार पीटर टेटे व सिटी कंट्रोल रूम के दो हवलदार महेंद्र प्रसाद व लल्लू बैठा की गवाही नहीं हुई है।
रघुवर व सरयू ने 13 जनवरी 2016 को कोर्ट में बयान दर्ज कराया था। इस मामले में तीन अप्रैल 2010 को सरयू व 31 अप्रैल 2011 को रघुवर ने सरेंडर कर जमानत ली थी, तब से वे जमानत पर थे।