तो क्या अब कंप्यूटर बतायेगा, कब आयेंगे भूकंप के झटके?

भूकंप आने के कुछ समय बाद तक हल्के झटके महसूस किए जाते हैं. एक रिसर्च का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से इन झटकों का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा.

कई बार भूकंप के बाद आने वाले झटके कहीं ज्यादा तबाही फैलाते हैं. इसलिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि उनके बारे में पूर्वानुमान का कोई उपाय खोजा जाए. भूकंप वैज्ञानिक इन झटकों की तीव्रता और समय के बारे में कुछ हद तक पूर्वानुमान लगा सकते हैं, लेकिन यह बता पाना मुश्किल होता है कि ये झटके कहां आएंगे.

इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए शोधकर्ताओं के एक समूह ने ‘डीप लर्निंग’ नाम का प्रोग्राम बनाया जिसमें हजारों भूकंप और भूकंप बाद के झटकों का डेटा डाला गया. रिसर्चर जानना चाहते हैं कि क्या भूकंप बाद के झटकों के बारे में अपने पूर्वानुमान को वे बेहतर कर सकते हैं.

‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुई स्टडी की सह-लेखिका फोएबे देव्राइस का कहना है, ”भूकंप के बाद वाले झटकों के बारे में पूर्वानुमान पहले 3 फीसदी तक सही होता था. हमारे नेटवर्क से पूर्वानुमान 6 फीसदी तक सही हो रहा है.” वह कहती हैं कि नया पूर्वानुमान इसलिए बेहतर है क्योंकि इसे विकसित करने के लिए ऐसे किसी पूर्वाग्रह का सहारा नहीं लिया गया जिससे पता चल सके कि अगले झटके कहां आएंगे.

शोधकर्ताओं ने ‘डीप लर्निंग’ आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस को झटकों का पूर्वानुमान लगाने के लिए इस्तेमाल किया और इसका मॉ़डल इंसानों के दिमाग की तरह बनाया गया.

हार्वर्ड में अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस के प्रोफेसर और अध्ययन रिपोर्ट के सह-लेखक ब्रीनडन मियडे के मुताबिक, ”इस प्रोग्राम की सहायता से शोधकर्ताओं को बड़े भूकंप की विशेषताओं (जैसे धरती पर कितना दबाव डाला या कहां तक यह फैला आदि) और बाद में आने वाले झटकों के बीच संबंध की जानकारी मिली.”

शोधकर्ताओं ने नेटवर्क की जांच करने के लिए उसमें डाले गए डेटा में से करीब एक चौथाई सूचना को रोक लिया और बाकी प्रोग्राम में रहने दिया. फिर उन्होंने टेस्ट किया कि अगर करीब एक चौथाई डेटा प्रोग्राम से हटा दिया जाए तो झटकों की लोकेशन के बारे में क्या जानकारी मिलती है? उन्हें पता चला कि प्रोग्राम ने जिन 6 फीसदी बेहद जोखिम वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया था, वहां झटके महसूस किए गए. पुराने तरीके से टेस्टिंग पर सिर्फ 3 फीसदी क्षेत्र का पता चल पाता था.

दूसरी तरफ, स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में जियोफिजिक्स के प्रफेसर ग्रेगोरी बेरोजा ने रिसर्च का विश्लेषण कर आगाह किया कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि भूकंप के बाद आने वाले झटकों का पता लगाने का सटीक तरीका खोज लिया गया है.

‘नेचर’ पत्रिका में इस रिसर्च के साथ प्रकाशित अपने लेख में वह कहते हैं कि रिसर्च में भूकंप से होने सिर्फ एक किस्म के परिवर्तनों पर फोकस किया गया है. उनके मुताबिक, ”रिसर्च को लेकर आगाह करने का एक और कारण स्टडी के लेखकों का विश्लेषण भी है, जो अनिश्चितताओं वाले कारकों पर आधारित है.”

देव्राइस मानती हैं कि कई और कारण हैं जो झटकों पर असर डालते हैं और अभी इन पर काफी काम किया जाना है. वह कहती हैं, ”हम जानते हैं कि इस शोध से उत्साहवर्धक शुरुआत हुई है और यह अंत नहीं है.”

बेरोजा कहते हैं कि इस रिसर्च से यह बात साफ हुई है कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भूकंप के झटकों का पूर्वानुमान लगाने में काम आ सकती है. वह कहते हैं, ”प्रोग्रामों में बड़ी और मुश्किल सूचनाओं को समझने की संभावना है, लेकिन अभी हम शुरुआती चरण में हैं.”

साभार- ‘डी डब्ल्यू’