त्रिपुरा में मिली हार के बाद CPM की अस्तित्व बचाने के लिए रणनीति में हो सकता है बदलाव, कांग्रेस से मिला सकती हाथ

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (CPM) को मिली भारी शिकस्त ने उसे अपनी रणनीतियों पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है और पार्टी के अंदर भी कांग्रेस के साथ ‘तालमेल’ बैठाने की जोर-शोर से मांग उठ रही है।

अगले महीने पार्टी की अहम बैठक होने वाली है। पार्टी नेताओं ने कहा कि त्रिपुरा में मिली भारी शिकस्त के बाद CPM का अस्तित्व बनाये रखने के लिए ‘सही रणनीति’ अपनाने को लेकर पार्टी के अंदर कई सवाल उठ रहे हैं।

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में शनिवार को BJP-IPFT ने मिलकर इतिहास रचते हुए दो-तिहाई बहुमत से जीत दर्ज की। इस जीत से राज्य में CPM के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के 25 साल के निर्बाध शासन का खात्मा हो गया।

CPM पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नन मोल्लाह ने बताया कि त्रिपुरा में हार के बाद पार्टी सबसे मुश्किल दौर का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ‘इस हार ने हमें नए तरीके से फिर से सोचने पर मजबूर किया है।

हमने अपने मसौदा प्रस्ताव में कहा है कि हम कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं चाहते, पर त्रिपुरा में हार के बाद अब बिल्कुल नई परिस्थिति सामने आ गई है। हमें अपनी रणनीतियों एवं राजनीतिक धारा पर फिर से विचार करना होगा।’