घरेलु झगरे और अंतर कलह को ले कर समाजवादी पार्टी में फिर संग्राम देखने को मिल रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद रामगोपाल यादव के गढ़ से शुरू हुई सपा की बगावत दूर तलक जाने के संकेत मिल रहे हैं। शह और मात के इस खेल में मोहरा छोटे प्यादे जरूर हैं लेकिन लड़ाई को शिवपाल बनाम रामगोपाल ही माना जा रहा है।
ऐसा प्रतीत हो रहा है की सपा अब भी सब ठीक नहीं है। पिछले दिनों इटावा में पार्टी के महासचिव सांसद रामगोपाल यादव ने बयान दिया था कि टिकट वितरण में उनकी भूमिका अहम होगी। इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव ने पहले से घोषित प्रत्याशियों के दनादन टिकट काट कर रामगोपाल यादव के वजूद को सीधी चुनौती दे दी। टिकट काटने के इस सिलसिले के बीच प्रोफेसर रामगोपाल यादव के गढ़ में जिला संगठन को टारगेट कर नए फ्रंट का ऐलान बहुत कुछ संकेत दे रहा है।
चूंकि जिले में नौ दिसंबर को जिला इकाई और फ्रंटल संगठनों की घोषणा की गई। यह घोषणा प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव की संस्तुति पर जिलाध्यक्ष अमोल यादव ने की। संगठन की नई टीम से रामगोपाल यादव को हाशिए पर रखा गया है।