बिहार: थानों में नहीं हैं रीडर-टाइपिस्ट, कंप्यूटर भी है खराब

किशनगंज: जिले में अपराध पर अंकुश लग सके इसके लिए थानों को अपग्रेड कर दिया गया. साथ ही थाने में थानेदार के रूप में सब इंस्पेक्टर की जगह इंस्पेक्टर की प्रतिनियुक्ति की गयी.

पोस्टिंग होने लगी तो थानेदारों को इंस्पेक्टर के रूप में साधारण केस की सुपरविजन की जिम्मेदारी भी मिलने लगी. लेकिन मैन पावर की कमी ऐसी हो गयी कि जिले के कई थानों में सुपरविजन के सैकड़ों केस लंबित हो गये.  जिले में कार्यरत 20 थानों में से करीब 16 थानों में मुंशी एवं टाइप राइटर नहीं है.

पुलिस थानों में गत माह के लंबित मामले तो नहीं है. लेकिन अत्याधुनिक थानों में डाटा ऑपरेटर की कमी खल रही है. हर महीने दर्जनों मामलों की जांच की जाती है व सुपरविजन होता है. लेकिन सर्किल इंस्पेक्टर कार्यालय में टाइपिस्ट और न पर्याप्त रीडर ही तैनात है. स्थिति ऐसी है कि अधिकांश थानेदार को विधि व्यवस्था और अन्य काम होने के बावजूद स्वयं सुपरविजन रिपोर्ट तैयार करना पड़ता है.