दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े आतंकवाद मामलों की समीक्षा करने की सरकार की कोई योजना नहीं

नई दिल्ली: दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े आतंकवाद मामले जो अदालतों में हैं और जिनकी जाँच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही हैं इन मामलों की जाँच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार की ऐसे मामलों की समीक्षा करने के लिए कोई योजना नहीं है।

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उन्होंने कहा कि जो मामले पहले से अदालत में हैं झूठ हैं और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, इनकी किसी भी नए सिरे से जांच करने के आदेश मिलने की संभावना से इनकार किया गया है ।
2007 समझौता एक्सप्रेस विस्फोट और 2008 के मालेगांव विस्फोट के आतंकी मामलों में कथित तौर पर एक दक्षिणपंथी संगठन के कार्यकर्ता भी शामिल हैं|
अधिकारी ने बताया कि आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की पत्नी ने जांच के दौरान अपने पति के साथ कथित तौर पर अनुचित व्यवहार की शिकायत की थी।
उन्होंने कहा की अगर वह संतुष्ट नहीं है, वह उसकी शिकायतों का निवारण करने के लिए गृह मंत्रालय जा सकती हैं|
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के लिए आरोप पत्र दाखिल किया गया था |
इस विस्फोट ने महाराष्ट्र के मालेगांव को हिलाकर रख दिया था , जिसमें चार लोगों की मौत हो गयी थी , जबकि कई अन्य घायल गये थे । जांच शुरू में महाराष्ट्र एटीएस द्वारा आयोजित की गयी थी बाद में इसे एनआईए को सौंप दिया गया था ।
पुरोहित, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिवनारायण कलसांगरा, श्याम साहू, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय, राकेश धावडे जगदीश म्हात्रे, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और प्रवीण त्कालकी को गिरफ्तार किया था |

एनआईए ने नब कुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, स्वर्गीय सुनील जोशी उर्फ सुनीलजी, रामचंद्र कलसांगरा, संदीप डांगे (दोनों फरार), लोकेश शर्मा, कमल चौहान, अमित और राजेंद्र चौधरी शामिल समझौता विस्फोट मामले के सिलसिले में आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था ।

आपराधिक साजिश का ये मामला 18 फरवरी 2007 को पानीपत, हरियाणा के पास अटारी एक्सप्रेस (समझौता) ट्रेन में हुए बम विस्फोटों से संबंधित है।

रामजी कलसांगरा और संदीप डांगे, जो समझौता विस्फोट मामले में आरोपी फरार हैं, उनपर भी इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया था |