केपटाउन: दक्षिण अफ्रीका में एक राष्ट्रीय अनुसंधान में स्पष्ट किया गया कि लड़कों के यौन शोषण की संभावना बढ़ गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अनुपात के मामले में लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं ज्यादा हुए हैं।
थॉमसन रोइटरज़ फाउंडेशन ने दक्षिण अफ्रीका के यौन शोषण से संबंधित पहली राष्ट्रीय अनुसंधान के हवाले से बताया है कि लड़कों की एक तिहाई संख्या यौन शोषण का सामना कर रहा है और इसमें वृद्धि की संभावना है।
नेशनल रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार 37 प्रतिशत लड़कों को 17 साल की उम्र तक पहुँचने से पहले यौन शोषण का सामना करना पड़ता है। इस शोषण में जोर-जबरदस्ती के अलावा पैसे या उपहार का लालच देकर भी बलात्कार की जाती है।
इसी रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार लड़कों की तुलना में बलात्कार का निशाना बनाए जाने वाली लड़कियों की संख्या 34 प्रतिशत के करीब बताई गई है। बलात्कार की वारदातों में शारीरिक संबंध स्थापित करने के अलावा अश्लील फिल्में दिखाने के साथ साथ शरीर के संवेदनशील स्थानों को छूना भी शामिल है।
रिसर्च रिपोर्ट एक गैर सरकारी संगठन यूबीएस आपटीमस फाउंडेशन की और से संकलित करने के बाद प्रकाशित की गई है। संगठन के प्रवक्ता इयान वेले इस्क्ट ने महत्वपूर्ण बिंदुओं की व्याख्या करते हुए कहा कि ज्यादातर किशोरी लड़कियां बलात्कार का निशाना बनती हैं जबकि इसी आयु समूह के लोगों को गैर शारीरिक बलात्कार का अधिक लक्षित है, जो उन्हें अश्लील फिल्में दिखाना और शरीर के संवेदनशील स्थानों को छूना शामिल है।
थॉमसन रोइटरज़ फाउंडेशन को इयान वेले इस्कट ने बताया कि रिपोर्ट की सामग्री से पता चला कि दक्षिण अफ्रीकी समाज भी दुनिया के अन्य समाजों जैसा है और इसमें ऐसी घटनाओं का अनुपात भी इतना है, जितना दूसरे समाजों में पाया जाता है। प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा कि दक्षिण अफ्रीकी समाज बेहद हिंसक में शामिल नहीं है।
पिछले साल दक्षिण अफ्रीका में सन 2014 से अधिक बलात्कार की घटनाएं घटित हुए थे। यह साढ़े तीन लाख से अधिक थे। रिपोर्ट इकतीस प्रतिशत बलात्कार की घटनायें पुलिस को रिपोर्ट कर रहे हैं और उनमें लड़कियां ज्यादा हैं और लड़कों की संख्या न के बराबर है। शोधकर्ता के अनुसार लड़के लगभग ऐसी घटनाओं का वर्णन करने में हिचकिचाहट दिखाते हैं।
इसी गैर सरकारी संगठन ने ऐसी ही रिसर्च स्विट्जरलैंड में भी पूरी कर रखी है और इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसी ज्यादतियों का अनुपात दक्षिण अफ्रीका से यूरोपीय देश में अधिक पाया गया है।
यूबीएस अपटीमस फाउंडेशन रिसर्च में केपटाउन विश्वविद्यालय और इसी शहर के जस्टिस एंड काउंटर अपराध केंद्र के शोधकर्ता शरीक थे। रिपोर्ट के अनुसार जिन माता-पिता को अपने बच्चों के आंदोलनों की पूरी जागरूकता होती है, उन्हें यौन शोषण का कम सामना करना पड़ता है।