दक्षिण भारत की एक अनोखी तंज़ीम, जहां हाफ़िज़े क़ुरआन बनते हैं डॉक्टर और इंजीनियर

नई दिल्ली। दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक के ऐतिहासिक शहर बीदर के प्रसिद्ध शैक्षिक एसोसिएशन’शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशनस ने दीनी व आधुनिक शिक्षा के संयोजन का एक अनोखा और अनूठा अनुभव किया है जिसके तहत हाफ़िज़े कुरान के चयन छात्रों को महज तीन साल की अवधि में इसके लायक बना दिया जाता है कि वह मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेंजमेंट जैसे अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकें तथा राज्य और केंद्रीय स्तर के सिविल सर्विसेज़ के प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में भाग ले सकें।

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शाहीन ग्रुप ने हिफ्ज़ुल क़ुरान प्लस ‘के नाम से यह पाठ्यक्रम पांच साल पहले शुरू किया था जिस से अब तक देश के 12 राज्यों के 200 से अधिक हुफ्फाज़े किराम लाभ उठा चुके हैं। यहां से फ़ारिग हो कर कई हाफ़िज़े क़ुरान, सरकारी मेडिकल कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के सरकारी कॉलेजों में भी प्रतिस्पर्धी परीक्षा के जरिए प्रवेश ले चुके हैं।
शाहीन ग्रुप के सचिव डॉक्टर अब्दुल क़दीर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अपने संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि संस्था का उद्देश्य अच्छे और बेहतरीन इमाम के साथ एक अच्छा और चरित्रवान डॉक्टर और इंजीनियर भी तैयार करना है ताकि वह समाज में एक अच्छा प्रभाव छोड़ सके। उन्होंने कहा कि हाफिज़ असाधारण बुद्धिमान छात्र होते हैं जो जल्द ही दुनयावी शिक्षा के अध्ययन में पहुंच प्राप्त कर लेते हैं। उन्हें महज चार वर्षीय पाठ्यक्रम के द्वारा इस लायक बना दिया जाता है कि वे पूर्ण विश्वास के साथ किसी भी पेशेवर और दुनयावी पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं। डॉक्टर अब्दुल क़दीर ने पाठ्यक्रम के विवरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुरान याद किए हुए 12 से 15 साल के बच्चों को चुना जाता है और पहले छह महीने तक फाउंडेशन कोर्स फिर ब्रेज कोर्स और फिर दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। इसके उत्साहित और सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इससे हौसला पाकर हमने अपने क्षेत्र का विस्तार करने का फैसला किया है।