ददई दुबे ने किया सियासी ज़िंदगी से रिटाइरमेंट लेने का ऐलान

साबिक़ देही तरक़्क़ी वज़ीर चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने सियासी ज़िंदगी से रिटाइरमेंट लेने का ऐलान कर दी है। बोकारो में इतवार को दुबे ने बताया कि लोकसभा इंतिख़ाब के दौरान मैंने जिस पर सबसे ज़्यादा भरोसा किया उसी ने साथ नहीं दिया। गुजिशता इंतिख़ाब में जहां इस इलाक़े से ब्राह्मणों और मुस्लिमों का साथ मिला, वहीं इस बार नहीं मिल पाया। तकरीबन 3.5 लाख ब्राह्मण वोटर होने के बाद भी मुझे 30 हजार वोट भी नहीं मिल पाया। जब ज़ात के लोग ही साथ नहीं दिए तो फिर किसके भरोसे सियासत करना है।

उन्होंने कहा कि भारत के तवारीख में शायद ही कोई ऐसा नुमाइंदा रहा हो जो मुखिया से लोकसभा के एवान तक पहुंचा हो, लेकिन मैं कांग्रेस का हाथ थामकर आवाम का एतमाद हासिल कर जीतते हुए लोकसभा के एवान तक पहुंचा। पार्टी आलाकमान ने मुझ पर भरोसा नहीं किया, उन्होंने इंतिख़ाब के वक्त ऐसे शख्स को टिकट दे दिया जिसका अपना कोई अवामी रुझान नहीं था, जिसका रिजल्ट भी पार्टी ने देख लिया।

भाजपा एमपी रवींद्र पांडेय के लिए मांगा हिमायत

पुरानी बात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेसी होने के बाद भी मैंने इंतिख़ाब में भाजपा के मौजूदा गिरिडीह एमपी रवींद्र पांडेय के लिए अपने जातियों से वोट मांगा। गिरिडीह लोकसभा इंतिख़ाब के वक्त दुगदा में मैंने ब्राह्मणों के कोन्फ्रेंस में रवींद्र पांडेय का हिमायत करने की बात कही थी, लेकिन रवींद्र पांडेय ने धनबाद इलाक़े में मेरा मुखालिफत किया। इसे सियासत का एखलाकी जवाल नहीं तो और क्या कहेंगे। आगे किसी भी पार्टी का दामन थामने से इनकार करते हुए दुबे ने कहा मैंने हमेशा बदउनवान में डूबी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी, इस पर हमें आवाम का तो हिमायत मिला, लेकिन पार्टी आलाकमान का हिमायत नहीं मिला। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की पार्टी सदर ममता बनर्जी ने मुझसे वादा किया था कि इंतिख़ाब के बाद रियासत की बदउनवानी में मुब्तिला हुकूमत को गिराने में पीछे नहीं हटेंगी, लेकिन इंतिख़ाब के साथ-साथ ममता का बयान भी बदल गया। जिस वजह से उस पार्टी में रहना मुनासिब नहीं समझा। उन्होंने कहा कि रियासत की हुकूमत सिर्फ लूट-खसोट के लिए बनी है। इसका मुखालिफत करने पर मुझे रास्ते से हटाया गया। इस लूट-खसोट में अब तृणमूल कांग्रेस भी बराबर की हिस्सेदार हो गई है।