लंदन, १६ जनवरी (एजैंसीज़) एक नई तहक़ीक़ में कहा गया है कि दफ़्तरों में लोगों को चाहीए कि वो अपनी मेज़ पर ज़्यादा देर ना बैठें इस तहक़ीक़ में ये भी कहा गया है कि दफ्तर में लोगों को चाहीए कि वो जिन अफ़राद से रूबरू बात कर सकते हैं इन को ई मेल के ज़रीया पैग़ामात ना भेजें।
बर्तानवी तहक़ीक़ में मुतनब्बा किया गया है कि लोग अपना बहुत ज़्यादा वक़्त अपनी मेज़ों ही पर गुज़ारते हैं। तहक़ीक़ में कहा गया है कि लोग रोज़ाना चार घंटे और इकतालीस मिनट कुर्सीयों पर बैठे गुज़ारते हैं। डाक्टर मियाना डंकन का कहना है टोग अपनी कुर्सीयों पर बैठे इतना ही वक़्त गुज़ारते हैं जितना कि वो सोते हुए गुज़ारते हैं।
उन्हों ने कहा कि जो लोग दफ़्तरों में मेज़ पर बैठे रहते हैं वो मुम्किना तौर पर घर पर भी बैठे रहते हैं जिस की वजह से वज़न बढ़ता है। इस तहक़ीक़ के लिए एक हज़ार से ज़्यादा अफ़राद से इंटरव्यू और सर्वे किए गए। डाक्टर डंकन ने कहा कि हमें इस बात का एहसास होना चाहीए कि हम कितनी देर कुर्सी पर बैठे रहते हैं। उन्हों ने कहा कि उठो और अपने साथ काम करने वालों के साथ बातचीत करो। ये ई मेल करने से बेहतर तरीक़ा है।