लोक सभा को आज मतला किया गया कि वज़ीर आज़म के दफ़्तर की तफ़सीली तलाशी के बावजूद वहां से इमरजेंसी के नफ़ाज़ के बारे में कोई रिकॉर्ड दस्तयाब नहीं हुआ। इस सवाल पर कि आया साल 1975 में इमरजेंसी के नफ़ाज़ से मुताल्लिक़ सरकारी रिकॉर्ड वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर में दस्तयाब नहीं है ? दफ़्तर वज़ीर-ए-आज़म में मुमलिकती वज़ीर वे नारायण स्वामी ने जवाब दिया कि जी हाँ (कोई रिकॉर्ड दस्तयाब नहीं हुआ है)।
उन्होंने इस सवाल पर भी इस्बात में जवाब दिया कि आया क़ानून हक़ मालूमात के तहत वज़ीर आज़म के दफ़्तर को इस ज़िमन में कोई दरख़ास्त मौसूल हुई थी। मिस्टर नारायना स्वामी ने सेटर्ल इन्फॉर्मेशन कमीशन के हुक्मनामा मौरखा 3 फरवरी का हवाला दिया जिसमें वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर के अर्बाब मजाज़ को हिदायत की गई थी कि वो इस रिकॉर्ड का पता चलाएं और जो कुछ भी रिकॉर्ड मौजूद हो तो इस को शहरियों तक मुनासिब रसाई के लिए महफ़ूज़ रखा जाए जिसके बाद इमरजेंसी के नफ़ाज़ के लिए वज़ीर-ए-आज़म और सदर जमहूरीया के दरमियान की गई मुरासलतों के रिकॉर्ड को तलाश किया गया जिसका कोई पता नहीं चला चुनांचे इस तरह का कोई रिकॉर्ड वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर में मौजूद नहीं है।