अजमेर शरीफ़ 22 जुलाई ( एजेंसीज़) दरगाह हज़रत ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती में पेश किए जाने वाले नज़राना पर किस का हक़ है इस तनाज़े का फ़ैसला राजिस्थान की एक मुक़ामी अदालत ने कर दिया है।
अजमेर की अदालत ने अपने फ़ैसले में बताया कि दरगाह की कमेटी को ही अकीदतमंदों के पेश किये गए नज़राने के हुसूल का इख़तियार है। ज़िलई-ओ-सेशन कोर्ट ने अजमेर शरीफ़ दरगाह के ख़ादिम और सज्जादा नशीन की बात सुनने के बाद को ये फ़ैसला सुनाया।
इसी तरह ख़ादमीन और दरगाह के दीवान के दरमियान 23 साल पुराना तनाज़ा बज़ाहिर ख़त्म होगया है। अदालत ने दरगाह कमेटी को तीन हफ़्ते की मोहलत दी है कि वो अजमेर मेवाड़ अदालत के ज़रिये 1933 में दिए गए फ़ैसले की तफ़सील पेश करे। दरगाह के दीवान ने अदालत में दरख़ास्त दाख़िल करते हुए अजमेर मेवाड़ अदालत के फ़ैसले पर अमल करने की दरख़ास्त की थी।