कश्मीर में 200 साल क़दीम ( प्राचीन/ पुरानी) दस्तगीर साहिब की दरगाह में आतिशज़दगी ( आग)और इस मुक़द्दस मुक़ाम के जल कर ख़ाकसतर हो जाने के ख़िलाफ़ रियासत ( राज्य) के मुफ़्ती-ए-आज़म की जानिब से बतौर-ए-एहतजाज जो हड़ताल की गई थी।
वो आज चौथे रोज़ में दाख़िल हो गई जिस की वजह से आम ज़िंदगी दिरहम ब्रहम हो गई। स्कूल्स, कालेज्स, दफ़ातिर, दुकानात-ओ-दीगर तिजारती इदारे मुकम्मल तौर पर बंद रहे। मुफ़्ती-ए-आज़म मुहम्मद बशीर उद्दीन अहमद ने हड़ताल का ऐलान किया था जिस पर अवाम-ओ-ख़वास ने लब्बैक कहा था।
वादी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का निज़ाम भी ठप पड़ गया और बसें सड़कों से ग़ायब थीं जबकि ख़ानगी ( निजी) बसों को कुछ इलाक़ों में चलाया गया। दफ़ातिर में मुलाज़मीन (काम करने वालों) की तादाद बेहद क़लील ( कम) थी। ला ऐंड आर्डर बरक़रार रखने के लिए श्रीनगर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बसीर अहमद ख़ान ने दफ़ा 144 का छः पुलिस स्टेशनों की हदूद ( क्षेत्रों) में नफ़ाज़ किया।
ख़ान यार, महाराजगंज, रावना वाड़ी, नोहाटा, सफ़्फ़ाक दिल और कराल ख़ुद ऐसे इलाक़े हैं जहां कर्फयू जैसा मंज़र देखा जा रहा है। मुफ़्ती-ए-आज़म ने ख़ाकसतर दरगाह तक कल एक एहितजाजी मार्च के एहतिमाम का भी ऐलान किया है। पीर ( सोमवार) के रोज़ एहतजाजियों और पुलिस अहलकारों ( कर्मचारीयों) के दरमयान झड़पों के मुनाज़िर ( दृष्य) भी देखे गए जिस के बाद मंगल को हड़ताल का ऐलान कर दिया गया था।
वाज़िह रहे कि आतिशज़दगी ( आग लगने ) के इस वाक़िया की रियास्ती हुकूमत ( राज्य सरकार) ने तहक़ीक़ात का हुक्म दिया है और ये भी ऐलान किया है कि तबाह शूदा दरगाह की तामीर ए नौ (नये सिरे से) की जाएगी। पुलिस और सी आर पी एफ़ जवानों की
ज़ाइद ( ज्यादा) तादाद को पुराने शहर के हस्सास ( संवेदनशील) इलाक़ों में तैनात किया गया है।