दरगाह जहांगीर पीरां की हंडी में लाखों रुपये के चेक्स

हैदराबाद 16 दिसंबर: देश में नोट रध करने के बाद से धार्मिक स्थलों पर भारी रक़ूमात को बतौर नज़राना पेश करने की इत्तेलाआत मिल रही हैं। ऐसे में दरगाह हजरत जहांगीर पीरां की हंडी में एक ही व्यक्ति ने 2 अलाहिदा चेक्स के ज़रीये 95 लाख और 20 लाख रुपये का नज़राना पेश किया।

हालांकि यह जाँच नोटबंदी से पहले के हैं और वक्फ बोर्ड की ओर से उन्हें निकालने तक चेक को कयाश कराने की अवधि तीन महीने खत्म हो गई। वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने जब जाँच में दर्ज फ़ोन नंबर पर रब्त क़ायम किया तो उसने वज़ाहत कर दी कि उसने
चैक जिस वक़्त हांड़ी में डाला गया था उस के एकाऊंट में रक़म मौजूद थी लेकिन अब वो रक़म अदायगी के मौकुफ़ में नहीं है।

वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने जब दरगाह हजरत जहांगीर पीरां की हंडी हासिल किया तो इस में जुमला 7 चेक्स पाए गए। आई डी बी आई शादनगर ब्रांच के ये चेक्स थे और उनमें से दो चेक्स पर 16 अगस्ट 2016 की तारीख दर्ज थी और 95 लाख और 20 लाख की राशि दर्ज थी।

एक चेक ब्लैंक था जिस पर केवल अकाउंट होल्डर की हस्ताक्षर और नाम लिखा था, जबकि 4 चेक्स ऐसे थे जिन पर कुछ भी दर्ज नहीं था। लाखों रुपये के चेक्स के पीछे जी जनगया नाम और फ़ोन नंबर दर्ज था। वक्फ बोर्ड के मुक़ामी अधिकारियों ने जब इस नंबर पर रब्त क़ायम किया तो व्यक्ति ने चेक के ज़रीये नज़राना पेश करने का स्वीकार किया लेकिन उसने कहा कि अब इस खाते में धन नहीं है तो उसे बैंक में जमा ना करें। किसी भी चेक को कयाश कराने की मोहलत तीन महीने होती है एतबार से लाखों रुपय के इन चेक्स की मोहलत नवंबर में ख़त्म हो गई। वक्फ बोर्ड के अधिकारी अब उलझन का शिकार हैं कि वह उनके चेक का आखिर क्या करें।

जब अकाउंट होल्डर ने ही अकाउंट में रक़म की मौजूदगी से इनकार किया है तो फिर उन्हें बैंक में जमा करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बताया जाता है कि किसी नज़र की तकमील के लिए अकाउंट होल्डर ने ये चेक्स जमा कराए थे। लेकिन इस बात की कोई ग्यारंटी नहीं है कि जिस वक़्त ये चेक जमा किए गए थे उस वक़्त उस के एकाऊंट में एक करोड़ 15 लाख रुपय मौजूद थे।
हो सकता है कि मज़कूरा शख़्स ने रक़म के बग़ैर ही ये चेक्स हांड़ी में जमा कर दिए।