हैदराबाद 13 फरवरी हिंदुस्तान में हैदराबाद फ़र्ख़ंदा बुनियाद को इस बात का एज़ाज़ हासिल है कि यहां मसाजिद क़ब्रिस्तान दरगाहें आस्ताने ख़ानक़ाहें दीगर रियासतों की बनिसबत बहुत ज़्यादा तादाद में है हक़ीक़त ये है कि शहर हैदराबाद हिंदुस्तान में इस्लामी तहज़ीब और आसार की नुमाइंदगी करता है ।
राम कोट के करीब हसन अली गुड़ा में गुजराती शाह बाबा (रह) की दरगाह है इस दरगाह के तहत मस्जिद और क़ब्रिस्तान है , क़ब्रिस्तान से मुत्तसिल मकान की खुदाई के दौरान कमानें उभर कर सामने आएं । सदर तामीर मिल्लत और सेक्रेट्री मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जनाब अबदुर्रहीम कुरैशी का कहना है कि दरअसल वो एक मस्जिद है क्यों कि वक़्फ़ रेकॉर्ड में गुजराती शाह बाबा (रह) की दरगाह के साथ मस्जिद का भी ज़िक्र आया है ।
खुदाई के दौरान कमानें बरामद होने की इत्तिला पर राक़िमुल हुरूफ़ फ़ौरी वहां पहूंच गया जब कि तेलुगु मीडिया मकान की तामीर के लिए की जा रही खुदाई के दौरान खज़ाने बरामद होने की अफ़्वाहों पर कान धरते हुए अपने कैमरों को इस मुक़ाम पर मुतहर्रिक कर दिया था लेकिन जैसे ही मस्जिद और कमानें दिखाई देने लगी । वो वहां से ऐसे खिसकने लगा जैसे कोई अहम बात ही ना हो ।
क़ारईन ! आप को बतादें कि दरगाह हज़रत गुजराती शाह बाबा (रह) शहर के एक क़दीम मुहल्ला हसन अली गुड़ा में वाक़े है लेकिन अब इस इलाक़ा को राज मुहल्ला कहा जाने लगा है । इस मुहल्ला के करीब ही कुल हिंद मजलिस तामीर मिल्लत का दफ़्तर और सर निज़ामत जंग अंजुमन इल्म और अमल की वक़्फ़ जायदादें हैं ।
तफ़सीलात के मुताबिक़ इतवार को क़ब्रिस्तान से मुत्तसिल एक गैर मुस्लिम के मकान की खुदाई का काम चल रहा था । काम के दौरान जब एक बड़े पत्थर को तोड़ा गया तब दो मज़दूर 15 फ़ुट की गहराई में जा गिरे । मुक़ामी लोगों का कहना है कि इन मज़दूरों को रस्सियों की मदद से ऊपर लाया गया ।
मज़ीद खुदाई के बाद क़दीम इमारत नज़र आने लगी और कमानें साफ़ तौर पर दिखाए देने लगी मुक़ामी आबादी में बे चैनी और तजस्सुस की कैफ़ियत पैदा हुई और अवाम के जमा होने के साथ ही पुलिस भी वहां पहूंच गई और महकमा आसार क़दीमा के ओहदेदारों ने भी खुदाई के मुक़ाम का तफ़सीली मुआइना किया । हम ने बी निर्मला नामी ख़ातून से बात की ।
उन्हों ने बताया कि वो 60 मुरब्बा गज़ अराज़ी पर मुहीत इस मकान में गुजिश्ता 22 बर्सों से मुक़ीम हैं और अब उसे पुख़्ता बनाने के लिए आर सी सी पिलर्स डालने की ख़ातिर खुदाई करवा रही थीं कि ज़मीन के अंदर कमानें नज़र आईं । उन का कहना है कि ये मस्जिद नहीं बल्कि बावली की कमानें हैं और किसी ज़माने में यहां बावली हुआ करती थी ।
वक़्फ़ गज़ट में इस दरगाह की तफ़सीलात इस तरह हैं गज़ट नंबर 28/A , सिरियल नंबर 1609 , वार्ड नंबर 3 , दर्ज वक़्फ़ 1994 सफ़ा नंबर तीन आस पास के मकानात क़ब्रिस्तान पर तामीर कर लिए गए हैं । हम ने इस इमकानी मस्जिद के बारे में हम ने सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड मौलाना ख़ुसरो पाशाह से मुलाक़ात की ।
उन्हों ने बताया कि वक़्फ़ बोर्ड कल ही एक ख़ुसूसी टीम को राज मुहल्ला रवाना करेगी और ज़रूरी हो तो पुलिस से रुजू भी होंगे ।
बहरहाल जिस तरह सदर तामीर मिल्लत रहीम कुरैशी साहब ने मस्जिद होने का दावा किया है इस लिए इस मुक़ाम की मज़ीद खुदाई ज़रूरी हो गई है अब ए एस आई का काम है कि फ़ौरी मज़ीद खुदाई करते हुए हक़ीक़त को सामने लाए।