शहर और मज़ाफ़ाती इलाक़ों में सैंकड़ों गैर आबाद मसाजिद हैं जिन की मुसलसल बेहुर्मती की जा रही है ना सिर्फ़ उन मसाजिद की बेहुर्मती की जा रही है बल्कि उन के तहत मौक़ूफ़ा जमीनों पर बुलंद-ओ-बाला इमारतें तामीर की जा रही हैं या तामीर करली गएं और हम अपने आप को बड़े फ़ख़र से मुसलमान कहते हैं । अपने हममज़हब होने का दावा करने वाले लैंड गिराबरस और मिल्लत की हमदर्दी का दम भरने वाले अनासिर बेशरमी से उन मसाजिद की जमीनों को ठिकाने लगा चुके हैं ।
गैर भी इस मुआमला में पीछे नहीं । मौक़ूफ़ा जमीनों पर हर किसी की नज़रें जमी हुई हैं और तबाही-ओ-बर्बाद के कारोबार में हुकूमत , मिल्लत की नुमाइंदगी का दावा करने वाले और ख़ुद मुसलमान ज़िम्मेदार हैं । मसाजिद वीरान पड़ी हैं । दुश्मनों ने उन्हें मुजरिमाना साज़िश और मंसूबा के तहत खन्डरात में तब्दील करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी ।
मुसलमान ख़ामोश रहे अपनी सुस्ती काहिली बेहिसी बे अमली और दीन से दूरी का सबूत देते हुए हम मुसलमान होने का दावा करने वालों ने अल्लाह के उन घरों की जानिब देखना गवारा नहीं किया । ज़ालिमों ने इन मसाजिद को कबाड़ ख़ानों में तब्दील किया । इस तारीख़ी आलमगीरी मस्जिद की तबाही पर मुक़ामी मुसलमानों से लेकर मिल्लत के ख़ुद साख़ता हमदरद और वक़्फ़ बोर्ड किसी ने तवज्जा नहीं दी वक़्फ़ बोर्ड ने मनी कुंडा की जायदाद के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया लेकिन इस मस्जिद को पूछने वाला देखने वाला कोई नहीं है ।
आप को बतादें कि इस गैर आबाद मस्जिद से कुछ फ़ासले पर एक दरगाह शरीफ़ भी है जिस की तावीज़ को उखाड़ दिया गया है और उसके अतराफ़ भी बुलंद-ओ-बाला इमारतें तामीर करदी गएं । वक़्फ़ बोर्ड और ना मुसलमान कभी ये पूछने की हिम्मत ना करसके कि आख़िर इन मौक़ूफ़ा जमीनों पर बुलंद-ओ-बाला इमारतें कैसे तामीर होगईं ।
किस बदबख़्त ने उन की प्लाटिंग और सौदेबाज़ी की और किन अनासिर ने मिल्लत से दग़ाबाज़ी का इर्तिकाब करके अपने इमान को ख़ुद ग़ारत कर गया । शहर में इस मस्जिद आलमगीर की तरह तक़रीबा 160 गैर आबाद मसाजिद हैं अगर मुसलमान मसाजिद से दूर और नमाज़ों से महरूम रहने की लानत में मुबतला रहें तो फिर हर मस्जिद के सहन में मंदिरें होंगी और कोई मौक़ूफ़ा जायदाद बाक़ी नहीं बचेगी ।
अपनों की लालच-ओ-हिर्स और ग़ैरों की साज़िश के नतीजा में औकाफ़ी जायदादों के दुश्मनों ने इन जमीनों को इस तरह चुन चुन कर निशाना बनाया जैसे किसी नाश को भूके गिद्ध नोच नोच कर खाते हैं ।
दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली से मुंसलिक इस जायदाद में से इंफोसिस टैक्नालोजी लिमिटेड को 50 एकड़ , उर्दू यूनीवर्सिटी को 200 एकड़ इंडियन स्कूल आफ़ बिज़नस को 250 एकड़ बोल्डर हिलज़ लेज़र पराईवेट लिमिटेड को 17 एकर् अम्मार हिलज़ टाउन शिपस पराईवेट लिमिटेड को 110.6 एकड़ इसी कंपनी को मज़ीद 50 एकड़ विपरो को 30 एकड़ वी जे आई एल कंसल्टिंग लिमिटेड को 5 एकड़
पोला रेस सॉफ्टवेर ले याब लिमिटेड को 7.87 एकड़ , माईक्रो साफ़्ट इंडिया ( आर एंड वी ) पराईवेट लिमिटेड को 54.80 एकऱ् और कांग्रेस रुक्न पार्ल्यमंट एल राज गोपाल की लानको हिलज़ को 108 एकड़ जमीनों हवाला की गएं इस से अंदाज़ा होता है कि अपनों की ग़द्दारी और ग़ैरों की मक्कारी के नतीजा में हर किसी ने औकाफ़ी जायदादों को जी भर कर लूटा और हम मुसलमान इस तरह ख़ामोश रहे जैसे हर तबाही-ओ-बर्बादी ज़ुलम-ओ-बरबरीयत और तास्सुब-ओ-जानिबदारी पर ख़ामोश रहना हमारा पैदाइशी हक़ हो काश ।