दरगाह हज़रत मोमिन चपऒ , अली आबाद की 26 हज़ार मुरब्बा गज़ अराज़ी अब कहां

दरगाह हज़रत सय्यद मीर मोमिन चपऒ की वक़्फ़ अराज़ी 26,038.0 मुरब्बा गज़ बाक़ी नहीं रही । शहर हैदराबाद में हज़ारों बुज़्रगान-ए-दीन – , औलिया-ए-अल्लाह वसालहीन की बारगाहें मौजूद हैं । जहां बरसहा बरस से दरूद शरीफ़ की मुहाफ़िल , क़सीदा बुरदा शरीफ़ के इलावा पाबंदी से महफ़िल समाव का भी इनइक़ाद अमल में आता रहा है । हैदराबाद शहर ने कई नशेब-ओ-फ़राज़ देखे , पुराना शहर के बाअज़ इलाक़ों को फ़सादाद के मौक़ा पर जलते देखा , लेकिन अब हैदराबाद में एक नई वबा फैल रही है वो है दरगाहों , क़ब्रिस्तानों की वक़्फ़ आराज़ीयात पर क़बज़ा की वबा-ए-जिस में अपनों के साथ साथ अग़यार भी मुलव्वस हैं । इसी तरह का एक क़बज़ा मुहल्ले अली आबाद में वाक़्य दरगाह हज़रत सय्यद मीर मोमिन चपऒ पर हुआ है । दरगाह शरीफ़ की तक़रीबन अराज़ी पर क़बज़ा करलिया गया । अतराफ़ में मुकम्मल ग़ैर मुस्लिम आबादी है । दरगाह के समाव ख़ाना को वर्कशॉप के तौर पर इस्तिमाल किया जाता है । मुक़ामी ग़ैर मुस्लिम चलाता है । इस समाव ख़ाना की 10 कमानें हैं और ये क़दीम तर्ज़ तामीर का एक नमूना है । दरगाह शरीफ़ के अहाता में कई क़ुबूर हैं जो कि अब ग़ैरों के क़बज़ा में हैं । तक़रीबन मिस्मार करदी गई हैं । दरगाह शरीफ़ के हदूद में सुबह से शाम तक शराबनोशी का बाज़ार गिर मर्राहता है और मुताल्लिक़ा पुलिस इस सिलसिला मैं ख़ामोश है । इस दरगाह शरीफ़ की अराज़ी पर क़बज़े 1990 से शुरू हुए जो आज तक जारी हैं । अब भी वक़्त है कि एक ऐसी हिक्मत-ए-अमली तैय्यार की जाय जिस के ज़रीया बाक़ी बची अराज़ी को महफ़ूज़ किया जा सके । वक़्फ़ बोर्ड हरकत में आए फ़ौरी दरगाह , क़ब्रिस्तान की हिसारबंदी करे । पिछले 21 सालों से क़ब्र से ज़मीन बराबर कर के अनगिनत मकानात ग़ैरों ने पुख़्ता बना लिए हैं । हैरत है वक़्फ़ बोर्ड की बेहिसी पर कि रिकार्ड मुकम्मल रहने के बावजूद कोई हरकत नहीं करता । जो इस तरहहे : Hyd/1825 Dargah Syed Shah Mir Momim Chup, out side aliabad, ward-18, area-26,038.0, gaz-20-A, sl.no.1971, date gaz 16-5-1985, page-5.