दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली की वक़्फ़ अराज़ी का मुक़द्दमा

हैदराबाद 28 जून: आंध्र प्रदेश रियास्ती वक़्फ़ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली(RH) की ओक़ाफ़ी अराज़ी के तहफ़्फ़ुज़ के लिए मुक़द्दमात लड़ने के बजाये लैंको हिलस और दुसरे कंपनीयों को मुक़द्दमा में फ़रीक़ बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में कोई रजिस्ट्रेशन या मज़कूरा कंपनीयों को क़र्ज़ा जात की अदम इजराई के लिए मुक़द्दमा दायर किए हुए है।

बावसूक़ ज़राए से मौसूला इत्तेला के बमूजब सुप्रीम कोर्ट में जारी लैंको हिलस ज़मीं मुक़द्दमा में सुप्रीम कोर्ट ने जो दरख़ास्त दाख़िल की है इस में मुतबादिल ज़मीं के हुसूल या ज़मीं को मौक़ूफ़ा क़रार देने की दरख़ास्त नहीं है बल्कि दरगाह हुसैन शाह वली(RH) की मौक़ूफ़ा ज़मीं पर तामीर कंपनीयों के दफ़ातिर को क़र्ज़ाजात की अदम इजराई के अलावा लैंको हिलस को अपनी जायदाद फ़रोख़त ना करने की हिदायत जारी करने के सिलसिले में है।

लैंको हिलस ओक़ाफ़ी ज़मीं के तहफ़्फ़ुज़ के सिलसिले में महबूब आलम ख़ां और इबराहीम बिन अबदुल्लाह मसक़ती जो सुप्रीम कोर्ट से रुजू होचुके हैं, इस मुक़द्दमा में मुश्ताक़ अहमद एडवोकेट पैरवी कररहे हैं।

फ़रीक़ैन मुख़ालिफ़ की तरफ़ से ताहाल उस मुक़द्दमा में कोई जवाब दाख़िल नहीं किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तमाम फ़रीक़ैन को हिदायत जारी की हैके वो फ़ौरी जवाब दाख़िल करे ताके तमाम अपीलों की यकसाँ सुनवाई को यक़ीनी बनाया जा सके।

इस मुक़द्दमा की आइन्दा समाअत 26 जुलाई को होगी। वक़्फ़ बोर्ड की तारफ से जो दरख़ास्त दाख़िल की गई है इस दरख़ास्त की माहिरीन के तेबार से क़तअन ज़रूरत नहीं है चूँके जायदाद के मौक़ूफ़ा होने के सिलसिले में वक़्फ़ ट्रब्यूनल के अलावा आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट को भी कोई एतेराज़ नहीं है बल्कि ये जायदाद मौक़ूफ़ा साबित होचुकी है।