नई दिल्ली, 30 दिसंबर: उसका कसूर सिर्फ यही था कि वह लड़की थी। छह दरिंदों ने उसे और उसकी जिंदगी को हैवानियत के साथ रौंद डाला। पहले उन हैवानों से और बाद में मौत से 13 दिनों तक वह पूरी बहादुरी से लड़ी। लेकिन जख्मों के आगे आखिर जिंदगी हार गई और जुमे की देर रात 2:15 बजे उसकी सांसें टूट गईं।
उसके साथ हुई इस हैवानियत ने पूरे मुल्क को झकझोर दिया है। बिना जाने कि वह पूरी निज़ाम में बदलाव की मांग की वजह बन चुकी है। इस लड़की के लिए पूरा मुल्क रो रहा है।
16 दिसंबर की रात मुल्क की राजधानी में चलती बस में दरिंदगी का शिकार हुई लड़की के लिए दुआएं भी नाकाम रहीं। उसके साथ हुई हैवानियत पर मुल्क में भड़का गुस्सा उसके मौत के बाद दर्द बनकर आंखों से बरस रहा था।
लोगों की बस यही मांग थी कि हुकूमत कुछ करे ताकि मुल्क की किसी बेटी के साथ फिर ऐसी दरिंदगी न हो। लेकिन गैंगरेप पर पहले जनता का गुस्सा देख चुकी सहमी सरकार ने पूरी दिल्ली में धारा 144 लगा दी। 10 मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया। इंडिया गेट और राजपथ के रास्ते सील कर दिए गए।
लेकिन यह पाबंदियां गुस्से और गम से भरे लोगों को नहीं रोक सकीं। दिल्ली में जंतर मंतर समेत कई जगहों पर लोग बड़ी तादाद में जुटे। दूसरे कई शहरों और दूसरे मुल्कों में भी मुज़ाहिरे हुए।
इससे पहले सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल ने शनिवार तड़के युवती के निधन की जानकारी दी। अस्पताल के सीईओ डॉ. केल्विन लो ने कहा कि बहादुर लड़की ने रात 2:15 बजे (हिंदुस्तान के वक़्त के मुताबिक) अंतिम सांस ली।
उसके कई अहम जिस्म के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। उसके घर वाले आखिरी वक़्त में उसके पास थे। एक खास चार्टर्ड तैय्यारा सिंगापुर से उसकी लाश लेकर आधी रात के करीब दिल्ली पहुंचा। लड़की की आखिरी रसूमात आज किया जा सकता है।
बिटिया पूरे गांव की दुलारी थी। अगर वह चाहती तो दरिंदों के आगे खुदसुपुर्दगी कर जान बचा सकती थी लेकिन उसने अपनी इज़्ज़त की हिफाजत करने की पूरी कोशिश की, जिसमें उसकी जान चली गई। (शिवमंदिर सिंह, लड़की के गांव के प्रधान)
यूं टूटी जिंदगी की लड़ी
16 दिसंबर : रात युवती से चलती बस में छह दरिंदों ने किया गैंगरेप
17 दिसंबर : सफदरजंग अस्पताल में उसकी पहली सर्जरी हुई। युवती को वेंटिलेटर पर रखा गया।
19 दिसंबर : दूसरी सर्जरी, इंफेक्शन के चलते उसकी पूरी आंत निकाली गई।
21 दिसंबर : हालत में कुछ सुधार के बाद वेंटिलेटर से हटाया गया
23 दिसंबर : बढ़ते इंफेक्शन को रोकने के लिए तीसरी सर्जरी हुई, फिर वेंटिलेटर पर रखा
25 दिसंबर : आधी रात को उसे हार्टअटैक पड़ा, जिससे उसके दिमाग में गंभीर चोट पहुंची
26 दिसंबर : रात में 11:45 बजे उसे एयर एंबुलेंस से सिंगापुर ले जाया गया
27 दिसंबर : सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में शुरू हुआ इलाज
28 दिसंबर : उसके कई अहम अंगों ने काम करना बंद किया, रात 2:15 बजे ली अंतिम सांस
हमें यह बताते हुए बेहद अफशोस हो रहा है कि हिम्मती लड़की नहीं रही। उसके घर वाले के मेंबर और भारतीय उच्चायोग के लोग अंतिम समय में उसके पास थे। (केल्विन लो, सीईओ, माउंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल)
लड़की आखिरी वक्त तक मौत से बहादुरी से लड़ी। उसकी जिंदगी के आखिरी कुछ घंटे उसके घर वालो के लिए बेहद मुश्किल रहे। मुसीबत की इस घड़ी में घर वालों ने हिम्मत से दिखाया है। (टीसीए राघवन, सिंगापुर में भारतीय उच्चायुक्त)
मेरी पोती बेहद बहादुर थी और उसने आखिर तक हार नहीं मानी। बिटिया की पढ़ाई पूरी हो गई थी और उसे 35 हजार रुपये महीने तनख्वाह भी मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन बिटिया अब हमसे दूर जा चुकी है। हम बस यही चाहते हैं कि हुकूमत कुछ ऐसा करे कि हमारी पोती जैसा वाकिया किसी और लड़की के साथ न हो। ( लड़की के दादा)
मरकज़ी वज़ीर प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि दिल्ली हुकूमत को इस बहादुर बेटी की आखिरी रसूमात राजकीय सम्मान के साथ करना चाहिए। उस लड़की को और मुल्क की तमाम खवातीनो को एहतेराम और इज़्ज़त देने के लिए दिल्ली हुकूमत को यह फैसला करना चाहिए।
आखिरी रसूमात गांव मे होने का इम्कान
लड़की की आखिरी रसूमात आज ( एतवार) सुबह यूपी के बलिया जिले में वाकेय् (स्थित) उसके खानदानी गांव में किया जा सकता है। ऐसे इम्कान के मद्देनजर बलिया पुलिस एलर्ट हो गई है और गांव में सेक्यूरिटी सख्त कर दी गई है। लड़की की मौत के बाद से गांव में गम का माहौल है।