इमकान है कि मोदी हुकूमत पार्लियामेंट के बजट इजलास में एक मुसव्वदा क़ानून पेश करेगी ताकि दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों और क़बाइल के अफ़राद पर मज़ालिम के ख़िलाफ़ मौजूदा क़ानून को मज़ीद मुस्तहकम किया जाये। इस इक़दाम की पहल साबिक़ यू पी ए हुकूमत ने की थी।
दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों और क़बाइल (इन्सिदाद-ए-मज़ालिम) तरमीमी आर्डिनेंस जो जारीया साल 4 मार्च को जारी किया गया था, इस्मत रेज़ि, हमला और अग़वे की वारदातों जैसे जराइम को इस क़ानून के दायराकार में शामिल करता है। इन में से बेशतर जराइम पर 10 साल से कम सज़ाए क़ैद दी जाती है,अब इन जराइम के इर्तिकाब पर 10 साल से ज़्यादा मुद्दत की सज़ाए क़ैद दी जाएगी।
मौजूदा दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों और क़बाइल क़ानून 1989 को मज़ीद इख़्तयारात दिए जाऐंगे। दफ़ा 3 में तरमीम के ज़रीये नए जराइम की तारीख़ का ताय्युन किया जाएगा और चंद मज़ीद जराइम फ़हरिस्त में शामिल किए जाऐंगे। अवामी जायदाद के इस्तेमाल का इंसिदाद जादूगरी के इल्ज़ामात, इबादतगाह में दाख़िले पर इमतिना , समाजी-ओ-मआशी मुक़ात और दुश्मनी को फ़रोग़ देना, चंद तब्दीलीयां हैं जिन्हें फ़हरिस्त में शामिल किया जाएगा।
ये जराइम फ़िलहाल दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों और दर्ज फ़हरिस्त क़बाइल पर मज़ालिम समझे जाते हैं । ये इक़दाम ये भी गुंजाइश फ़राहम करता है कि ऐसे जराइम के मुक़द्दमों के लिए ख़ुसूसी अदालतें क़ायम की जाएं और मुतास्सिरीन की बाज़ आबादकारी की जाये।