दलाल के पास ही मिलेंगे छोटे स्टांप

पटना 1 मई : कंकड़बाग के रमेश मिश्र दस रुपये के स्टांप के लिए तीन दिन से कलेक्ट्रियट का चक्कर लगा रहे हैं। उनको आरटीआइ दाखिल करने के लिए इसकी जरूरत है। उन्होंने इख्तियार वेंडरों के पास चक्कर लगाया, मगर कहीं स्टांप नहीं मिला। परेशान होकर उन्होंने दलाल को पकड़ा, तो बहुत ही आसानी से स्टांप मिल गया।

दस रुपये के स्टांप के लिए पचास रुपये देने पड़े. यह मसला सिर्फ रमेश मिश्र की नहीं, बल्कि उनके जैसे दर्जनों लोगों की है, जो हर दिन पांच, दस, बीस, पचास व सौ रुपये के स्टांप की खोज में आते हैं, मगर दलालों के चुंगल में फंस जाते हैं। कलेक्ट्रियट अहाते में करीब डेढ़ दर्जन लाइसेंसी वेंडर हैं, मगर इनके पास छोटे स्टांप की हमेशा किल्लत बनी रहती है। मांग बढ़ने की वजह से 100 रुपये के एडहेसिव स्टांप भी आसानी से नहीं मिलते।

एफिडेविट (शपथपत्र) से लेकर पावर ऑफ एटर्नी के लिए स्टांप फिश में अज़फा के बाद अब इसकी भी किल्लत होने लगी है। एक अंदाज़े के मुताबिक नोटरी पब्लिक और एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट के पास हर दिन 200 से 250 एफिडेविट बनता है। इसमें आधे से अधिक दलाल के ज़रिये से बनाये जाते हैं।

ताक में रहते हैं दलाल

बांकीपुर बस स्टैंड से लाइसेंसी वेंडरों के आसपास दलाल ताक में रहते हैं। वेंडरों से मायूस गाहकों को उनकी तरफ से पांच मिनट में स्टांप दस्तयाब कराने का यकीन दिलाया जाता है। बार-बार इस तरह की परेशानी झेल चुके लोग सीधे काम कराने की बजाय दलाल के ज़रिये से कराना ज्यादा पसंद करते हैं। ताहम दलालों की तरफ से कराये गये काम कितने दरुस्त हैं, इसको परखने की फुरसत किसी को नहीं होती।