बेंगलुरु। मंदिरों के शहर उडूप्पी में जिग्नेस मेवानी और वकीलों द्वारा गुजरात के ऊना में दलित पर हुए अत्याचार के विरोध में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें हजारों दलितों ने हिस्सा लिया. वहीं इस कार्यक्रम में दलित समुदाय के हिस्सा लेने को संघ परिवार के एक संगठन ‘विश्वेश्वा तीर्थ’ ने अपवित्र मान कर स्थान को पवित्र करने के लिए शुद्धिकरण समारोह का आयोजन किया।
नेशनल दस्तक के अनुसार, संघ परिवार ने दलितों पर यह आरोप लगते हुए कहा कि उसकी मौजूदगी से मंदिर के आसपास की क्षेत्र अशुद्ध हो गया है.जिससे संघ परिवार की एक युवा ब्रिगेड ने कृष्ण मंदिर के आसपास शुद्धिकरण के लिए एक समारोह आयोजित किया.
जिसमें शुद्धिकरण समारोह का आयोजन विश्वेश्वा तीर्थ की ओर से आयोजित किया गया. जोकि युवा ब्रिगेड के सदस्यों के एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने के साथ साथ झाडू लेकर सड़क की सफाई भी कर रहे हैं. हालांकि इस तरह के किसी भी विरोध प्रदर्शन के आयोजन के लिए जिला प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं दी गई थी. बावजूद इसके विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया. इससे एक बार फिर आरएसएस का भेदभाव और मानवहीनता स्पष्ट हो गया.
गौरतलब है कि 9 अक्टूबर को मेवानी की अगुवाई में बेंगलुरु से उडूप्पी तक ‘उडुप्पी चलो’ नामक एक रैली का आयोजन किया जिसमे हजारों दलितों ने भाग लिया था. समापन के समय मेवानी ने उडुप्पी मंदिर में ‘भेडा प्रथा’ और गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को प्रतिबंधित करने कि मांग की थी . उनहोंने कहा कि इसके लिए जेल जाने की जरुरत पड़ी तो जाने को तैयार हूँ. गुजरात के वकीलों ने सरकार की निति को उजागर करते हुए कहा कि भूमि आवंटन में जाति आधारित भेदभाव किया जा रहा है।