दलित अधिकार कार्यकर्ता ‘जिग्नेश मवानी’ ने वाइब्रेंट शिखर सम्मेलन को बाधित करने की दी चेतावनी

“बावजूद इसके की हमारे यहाँ दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों को ज़मीन देने के लिए विशिष्ट कानून बनाये गए हैं, सरकार उन्हें लागू नहीं कर रही,” जिग्नेश ने कहा।

 

सोमवार को दलित नेता जिग्नेश मवानी ने राज्य में दलितों के भूमि के मुद्दों को उठाते हुए आगामी वाइब्रेंट शिखर सम्मेलन को बाधित करने की धमकी दी।

 

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा की ” गुजरात में सेकड़ो की तादाद में एम्ओयू पर हस्ताक्षर हो रहे हैं और हज़ारो की संख्या मे ज़मीन बड़े व्यापारिक घरानों को दी जा रही है। हालांकि हमारे यहाँ दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों को अतिरिक्त जमीन देने के लिए कई विशिष्ट कानून बनाये गए हैं परंतु सरकार उन्हें लागू नहीं कर रही “।

 

मवानी के अनुसार, ” ऊना दलित आंदोलन के बाद, अहमदाबाद और सुरेंद्रनगर जिलों के जिला अधिकारियों ने कृषि भूमि सीलिंग अधिनियम के प्रावधानों के तहत दलितों को आवंटित भूमि का भूमि माप लेना शुरू कर दिया था। हालांकि, अब भूमि माप लेना बंद कर दिया गया है और दलितों को अभी तक ज़मीन आवंटित नहीं की गयी है।”

 

इसी तरह, हमें पता चला कि अहमदाबाद जिले के धंधुका तालुका में एक दलित सहकारी कृत्रिम अंग केन्द्र अधिनियम के तहत १९८४ में ५०० एकड़ जमीन आवंटित की गयी थी। परंतु अब तक इस भूमि पर कोई अधिकार नहीं दिया गया है और यह अभी भी प्रमुख जाती के लोगो के अवैध कब्ज़े मे है। और अब, राज्य सरकार ने यह भूमि श्री धोलेरा जी को निर्धारित कर दी है।

 

“अगर सरकार ने अगले सात दिनों के भीतर कृत्रिम अंग केन्द्र अधिनियम के तहत दलितों को आवंटित जमीन का माप शुरू नहीं किया तो हम वाइब्रेंट सम्मलेन को बाधित करेंगे। हम इस सम्मलेन के दौरान प्रधानमंत्री के काफिले को भी रोकेंगे, “उन्होंने कहा।