दलित इत्तिहाद से बड़ी ताक़त बनना मुम्किन

हैदराबाद । २५ । अप्रैल (सियासत न्यूज़) मुस्लिम दलित इत्तिहाद के ज़रीया एक ज़बरदस्त सयासी ताक़त तशकील दी जा सकती है । मुस्लमान दलितों के हमराह शाना बशाना चलते हुए फ़िर्कापरस्ती को कुचल सकते हैं। मौलाना हुसैन शहीद ने मुस्लमानों की सयासीहिक्मत-ए-अमली पर तबसरा करते हुए बताया कि मुस्लमानों की अलहदा सयासी जमात का तजुर्बा हमेशा नाकाम हुआ ही। इसी लिए हमें हिक्मत-ए-अमली तबदील करके जमहूरी तौर पर अपने वजूद की बरक़रारी पर तवज्जा करनी चाहीए । उन्हों ने बताया कि ऐवानों में मुस्लिम नुमाइंदे ज़रूर हैं लेकिन वो मुस्लमानों की आवाज़ बनने से क़ासिर हैं चूँकि बरसर-ए-इक्तदार जमातें उन्हें अपने तर्जुमान की तरह इस्तिमाल कर रही हैं।

मौलाना हुसैन शहीद ने बताया कि मुंख़बा अवामी नुमाइंदे सतही मसाइल पर आवाज़ उठा रहे हैं और येतास्सुर देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो मिल्लत के मसाइल ऐवान में पेश कर रहे हैं।मिल्लत के नुमाइंदा अफ़राद जो ऐवानों में हैं वो हक़ तर्जुमान साबित नहीं होरहे हैं, जिसकी वजह उन की मसाइल से अदम वक़फ़ीत ही। उन्हों ने बताया कि मच्छरों की अफ़्ज़ाइश और मोरियों और नालों के मसाइल को मुंख़बा अवामी नुमाइंदे मिली मसाइल के तौर पर पेश कर रहे हैं।

उन्हों ने सयासी हिक्मत-ए-अमली में तबदीली को नागुज़ीर क़रार देते हुए कहा कि नौजवानों की ज़हन साज़ी से आज़मूदा नौजवानों को अपना नुमाइंदा बनाने की ज़रूरत है । चूँकि जिन्हें मिली मसाइल से वक़फ़ीत हो और जो लोग मिल्लत को दरपेश मसाइल के हल का तजुर्बा रखते हैं, वो ऐवान में मुस्लमानों के हक़ीक़ी तर्जुमान हो सकते हैं। उन्हों नेफ़िर्कावाराना मुनाफ़िरत को दूर करने दलितों और दीगर पसमांदा तबक़ात के साथ इत्तिहादको वक़्त की अहम ज़रूरत क़रार दिया।

मौलाना हुसैन शहीद ने बताया कि मुस्लमान अपने नुमाइंदों से वाक़िफ़ हैं कि इन की नज़र किस हद तक महिदूद है। ये नुमाइंदे मसाइल परबारी कबीनी से नज़र रखने से क़ासिर हैं जिस से मिली मुफ़ादात को नुक़्सान पहुंच रहा है। उन्हों ने बताया कि मुस्लमान नुमाइंदे के इंतिख़ाब से क़ब्ल उसकी कारकर्दगी का जायज़ा लें।