नई दिल्ली: सीपीआई ने आज हैदराबाद यूनीवर्सिटी के एक दलित तालिबे-इल्म की ख़ुदकुशी के वाक़िये पर वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी की ख़ामोशी को तन्क़ीद का निशाना बनाया और कहा कि पिशावर में तलबा-ए-की हलाकतों पर रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया लेकिन हैदराबाद के वाक़िये पर चुप्पी साध ली।
पार्टी ने इस वाक़िये के ज़िम्मेदार 2 मर्कज़ी वुज़रा की बरतरफ़ी का भी मुतालिबा किया। नेशनल सेक्रेटरी सीपीआई डी राजा ने कहा कि दलित तालिबे-इल्म के मामले पर नरेंद्र मोदी ने एक लफ़्ज़ भी नहीं कहा। लेकिन पिशावर पाकिस्तान मे हलाक तलबा-ए-के लिए ताज़ियत का इज़हार किया।
ये वाक़िया मज़म्मत का मुतक़ाज़ी था ताहम हिन्दुस्तान में पेश आए वाक़ियात पर भी लब-कुशाई करना चाहिए। डी राजा ने कल पार्टी जनरल सेक्रेटरी ऐस सुधाकर रेड्डी के हमराह यूनीवर्सिटी केम्पस का दौरा करके एहतेजाजी तलबा-ए-से मुलाक़ात की थी। मर्कज़ी वुज़रा बंडारू दत्तात्रेय और स्मृति ईरानी को काबीना से बरतरफ़ कर देने का मुतालिबा किया जिनका रोल इस वाक़िये में काबुल गिरिफ़त है।
सीपीआई लीडर ने कहा कि तालिब-इल्म की ख़ुदकुशी के वाक़िये के पस-ए-पर्दा मुहर्रिकात का जायज़ा लेने पर पता चलता है कि तालीमी मैदान दलितों, समाजी इन्साफ़, सेकूलरिज़म और हिंदूतवा नज़रियात का महाज़-ए-जंग बन गया है जबकि यूनीवर्सिटीज़ और आई आई टीज़ में ज़ात पात का भेद-भाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब दलित तालीमी शोबे में अपने हुक़ूक़ तलब करते हैं तो उनके रास्ते में रुकावटें पैदा की जा रही हैं|