दवाख़ाना उस्मानिया को मुनहदिम करने का गुमान भी गुनाह

हैदराबाद 05 अगसत:मुल्क के तारीख़ी हस्पतालों में सरे फ़हरिस्त उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल को मुनहदिम किराए जाने से मुताल्लिक़ चीफ़ मिनिस्टर के सी आर के मन्सूबों पर शहरे हैदराबाद की बुज़ुर्ग-ओ-नुमाइंदा शख़्सियतों में काफ़ी ब्रहमी पाई जाती है।

हैदराबादी तहज़ीब की इन नुमाइंदा शख़्सियतों में डॉक्टर्स, असातिज़ा, अदीब-ओ-दानिश्वर ग़रज़ ज़िंदगी के हर शोबे से ताल्लुक़ रखने वाले शामिल हैं, फ़िलवक़्त ना सिर्फ हैदराबाद और हिन्दुस्तान बल्कि उन ममालिक में जहां हैदराबादी मुक़ीम हैं, ये सवाल गशत कर रहा है के हुज़ूर निज़ाम नवाब मीर उसमान अली ख़ां बहादुर की तरफ से तामीर-कर्दा इस तारीख़ी दवाख़ाने को जो अपने फ़न तामीर के लिहाज़ से ग़ैरमामूली एहमीयत का हामिल है, मुनहदिम किया जाना चाहीए या नहीं? चुनांचे हमने यही सवाल हैदराबादी तहज़ीब की बावक़ार शख़्सियत नवाब शाह-आलम ख़ां से किया जिसके जवाब में उन्होंने पुरज़ोर अंदाज़ में कहा कि क़तअन नहीं हिन्दुस्तान की ख़ूबसूरत इमारतों में इस का शुमार होता है।

ये दरअसल अवाम को नवाब मीर महबूब अली ख़ां और आसिफ़ साबह नवाब मीर उसमान अली ख़ां का एक यादगार तोहफ़ा है। दवाख़ाना उस्मानिया और हाईकोर्ट की शानदार इमारतें फ़न तामीर की शाहकार और हमारी तहज़ीब की पहचान हैं।

उन्होंने कहा कि चीफ़ मिनिस्टर के चंद्रशेखर राव‌ के मंसूबे के बारे में जान कर ना सिर्फ उन्हीं बल्कि हैदराबाद की दुसरे शख़्सियतों को रंज हुआ है।

नवाब शाह-आलम ख़ां के मुताबिक़ एसी इमारत अब दुबारा तामीर नहीं की जा सकती। जब यही सवाल हमने हैदराबादी तहज़ीब की एक और नुमाइंदा शख़्सियत और उर्दू ज़बान की सिपाही लक्ष्मी देवी राज से पूछा तब उन्होंने हुकूमत के मन्सूबों पर ब्रहमी ज़ाहिर करते हुए कहा अफ़सोसनाक बात ये हैके हमें विरासत किया है मालूम ही नहीं, हर काम वास्तव के लिहाज़ से किया जा रहा है, हर चीज़ तोड़ी जा रही है, क़दीम-ओ-तारीख़ी इमारतों का नाम-ओ-निशान मिटाया जा रहा है।

उनका ये भी कहना था कि आधा शहर तो ग़ायब हो चुका है। शहर कंक्रीट के क़ब्रिस्तान में तबदील हो गया है। हम अमरीका की तक़लीद करने लगे हैं। पहले ज़माने में मौसम के लिहाज़ से इमारात तामीर की जाती थीं।

उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल भी मौसम के लिहाज़ से तामीर किराया गया था और दुनिया-भर में एसा हॉस्पिटल नहीं है। शहर में 400 साल से ज़ाइद क़दीम इमारतें हैं। उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल की उम्र तो 90 या 91 साल है। एसे में उसे मुनहदिम करने का मन्सूबा ठीक नहीं है।

लक्ष्मी देवी राज के मुताबिक़ अवाम को डिब्बा नुमा इमारतों की नहीं बल्कि उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल जैसे कुशादा हवादार इमारतों की ज़रूरत है। दूसरी तरफ फ़ातिमा आलम अली ख़ां ने भी उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल को मुनहदिम करने के हुकूमती मन्सूबों पर तशवीश ज़ाहिर की और कहा कि एक तारीख़ी विरसा और यादगार इमारत को मुनहदिम करने के बजाये उसकी तज़ईन नौ कराई जाये तो बेहतर रहेगा।

इन्होंने इस सिलसिले में गुबदान क़ुतुब शाही की मरम्मत-ओ-तज़ईन नौ की मिसाल पेश की। उनके ख़्याल में उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल हैदराबाद की पहचान है। इस पहचान को मुनहदिम करने का मतलब हैदराबादी तहज़ीब के ख़ातेमा की कोशिश है।फ़ातिमा आलम अली ख़ां के ख़्याल में आज उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल को मुनहदिम करने का सोचा जा रहा है कल शहर और इस के अतराफ़-ओ-अकनाफ़ की तारीख़ी इमारतों को मुनहदिम करने की बात की जाएगी।

इसी दौरान शहर के मुमताज़ डाक्टर , डॉ राज प्रसाद ने कहा कि उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल को मुनहदिम करने का सूचना भी गुनाह है। इन्होंने वाज़िह तौर पर कहा कि इस तारीख़ी हॉस्पिटल की इमारत को हरगिज़ हरगिज़ हरगिज़ मुनहदिम नहीं किया जाना चाहीए।

मुमताज़ डॉक्टर प्रसाद के ख़्याल में उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल और उस्मानिया मेडिकल कॉलेज जैसे इदारे सारी दुनिया में नहीं। इस दवाख़ाना और कॉलेज से डॉक्टर बहादुर ख़ां जैसे नामवर डॉक्टर भी वाबस्ता रहे जिनका नाम बर्तानिया के तिब्बी कोर्सेस की किताबों में शामिल है।

यही वही हॉस्पिटल है जहां ना सिर्फ तेलंगाना बल्कि आंध्र प्रदेश, टामिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्रा के भी मरीज़ आते हैं। एसे हॉस्पिटल को मुनहदिम करने का मन्सूबा की वो शिद्दत से मुख़ालिफ़त करते हैं। इन्होंने यहां तक कहा कि अगर इस मन्सूबे पर अमल की कोशिश की जाएगी तो वो ख़ुद अपने दुसरे डॉक्टर साथीयों के साथ उसकी मज़ाहमत करेंगे।