दस्तूरे हिंद में तमाम तबक़ात को यकसाँ हुक़ूक़:मौलाना अतीक़ अहमद

बांसवाड़ा 29 जनवरी: बांसवाड़ा मुदर्रिसा सिराज उल-उलूम में यौमे जमहूरीया मनाया गया सदर शेख सय्यद ने पर्चमकुशाई की। इस मौके पर ख़िताब करते हुए मौलाना मुफ़्ती अतीक़ अहमद क़ासिमी ने कहा कि अवाम इस बात से बख़ूबी वाक़िफ़ है कि अकाबरीन उल्मा दीन-ओ-इस्लाम की अज़ीम कुर्बानियों की बदौलत मुल्क को अंग्रेज़ों के पंजे से मुकम्मिल आज़ादी मिली और इस मुल्क को जमहूरी मुल्क क़रार दिया गया।

मुफ़्ती अतीक़ अहमद क़ासिमी ने कहा कि मुल्क की तक़सीम से हमारे क़ौमी रहनमाओं को जो ख़तरात-ओ-ख़दशात थे वो सहीह साबित हुए और जिन्हों ने ख़ूनख़राबा होता रहा। इस तरह हज़ारों जानें तलफ़ हुईं और करोड़ों अफ़राद बे-घर किए गए और उलझन पर उलझन पैदा होते गई। जिसको संवारने में सँभालने में मुद्दतें लग गए। मगर आज तक भी इसका ख़ातमा नहीं हुआ।

इस मुल्क में यके बाद दुसरे आने वाली हर हुकूमत पसमांदा तबक़ात खासतौर पर दलित और मुसलमानों के साथ नाइंसाफ़ीयां करती रही और आज भी कर रही है। इस तरह से मज़हब और ज़ात पात में तक़सीम करके हुक़ूक़ को तलफ़ किया जा रहा है। जबकि इस मुल्क के तमाम बाशिंदों के हुक़ूक़ यकसाँ और दस्तूर बराबर होना चाहीए।
मौलाना ने कहा कि हिन्दुस्तान तमाम मज़हब का मुल्क है। मुसलमानों ने कई एक क़ुर्बानियां इस मुल्क के लिए दी हैं और आज भी देते आरही है।