दस्तूरे हिंद में हर मज़हब-ओ‍-तबके के मानने वालों को बराबर हुक़ूक़

हैदराबाद 13 अक्टूबर: उतरप्रदेश के दादरी में गाय का गोश्त रखने की अफ़्वाह पर हुए अख़लाक़ अहमद के क़त्ल के ख़िलाफ़ एहतेजाज करते हुए उस्मानिया यूनीवर्सिटी के दलित बहुजन कबायली और अक़लियती तलबा तन्ज़ीमों के ज़ेरे एहतेमाम ‘बीफ खाने पर मारते किया’ के अनवान से आर्टस कॉलेज के रूबरू तआम बीफ प्रोग्राम मुनाक़िद किया गया।

डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनीयन तेलंगाना विद्यारथी संघम तेलंगाना दलित स्टूडेंट फेडरेशन टीवी वी और मुस्लिम स्टूडेंट आर्गेनाईज़ेशन की तरफ् से मुनाक़िदा बीफ प्रोग्राम में सैंकड़ों तलबा ने हिस्सा लेकर दादरी वाक़िये की मज़म्मत की।

उन्होंने फ़िर्कापरस्तों को चैलेंज किया कि वो आर्टस कॉलेज में तलबा के साथ अख़लाक़ अहमद जैसा सुलूक करें। उस्मानिया यूनीवर्सिटी तलबा तन्ज़ीमों के क़ाइदीन के श्रीनिवास अरोनाक आज़ाद एम भास्कर जी सुदर्शन रिसर्च स्कालर पी एचडी पोलिटिकल साइंस जी सतया रमलू और दुसरें ने दादरी वाक़िये पर ख़ामोशी को हिन्दुस्तान के जमहूरी निज़ाम के लिए संगीन ख़तरा क़रार दिया और कहा कि आज़ाद हिन्दुस्तान के दस्तूर में हर मज़हब और तबक़े का ख़ास ख़्याल रखा गया है।

दादरी जैसे वाक़ियात की रोक-थाम के लिए सेक्युलर तन्ज़ीमों को मुत्तहिद होने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मज़कूरा तलबा तन्ज़ीमों के क़ाइदीन ने कहा कि किसी भी मज़हब पर खाने पीने की पाबन्दी आइद करना ग़ैर जमहूरी होगा। दलित तलबा तन्ज़ीमों के क़ाइदीन ने कहा कि मुस्लमानों से ज़्यादा तादाद में हिंदू दलित बीफ का इस्तेमाल करते हैं क्युंकि बीफ का इस्तेमाल टी बी जैसी बीमारी से लड़ने में इन्सान की मदद करता है।

मज़कूरा क़ाइदीन ने बीफ को फ़ाइदामंद ओ सहत बख़श ग़िज़ा क़रार देते हुए कहा कि दलित बहुजन आदिवासी और अक़लियती तबक़ात बीफ का कसरत से इस्तेमाल करते हैं जो फ़िर्कापरस्त ताक़तों के लिए तशवीश का बाइस बन रहा है।