दस्तूर-ए-हिंद में मज़हब की बुनियाद पर मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात की गुंजाइश

हैदराबाद ।२१ । मार्च: प्रोफ़ैसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा वाइस चांसलर नैशनल ला यूनीवर्सिटी उड़ीसा ने कहा है कि मुस्लमानों को मज़हब की बुनियाद पर तहफ़्फुज़ात फ़राहमकिए जा सकते हैं। उन्हों ने कहा कि जब हिंदूओं को ज़ात पात की बुनियाद पर रिज़र्वेशन की सहूलत फ़राहम की जा सकती है तो मुस्लमानों के पसमांदा तबक़ात को भी रिज़र्वेशन के समरात से मुस्तफ़ीद किया जा सकता हैं। प्रोफ़ैसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी के मर्कज़ बराए मुताला समाजी इख़राज-ओ-शिमौलीती पालिसी की जानिब से हिंदूस्तानी मुस्लमानों के लिए तहफ़्फुज़ात:शिमौलीती तरक़्क़ी की जानिब एक क़दम के मौज़ू पर मुनाक़िदा दो रोज़ा क़ौमी समीनार के इफ़्तिताही इजलास में कलीदी ख़ुतबा दे रहे थी।

वाइस चांसलर मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी प्रोफ़ैसर मुहम्मद मियां ने इफ़्तिताही इजलास की सदारत की। प्रोफ़ैसर मुस्तफ़ा ने कहा कि दस्तूर में तरमीम के ज़रीया भी तहफ़्फुज़ात को मुम्किन बनाया जा सकता ही। इस के लिए उन्हों ने लोक पाल बल का हवाला दिया। उन्हों ने कहा कि मज़हबी लिसानी तबक़ाती तनव्वो का इन्फ़िरादी शनाख़्त के साथ तहफ़्फ़ुज़ ज़रूरी हैं। मुस्लिम रिज़र्वेशन की बेहस दरअसल समाजी इंसाफ़ से मरबूत हैं। दस्तूर के पेश लफ़्ज़ में इंसाफ़ मुसावात और उखुवत का तज़किरा हैं। अगर मज़हब तहफ़्फुज़ात की बुनियाद नहीं हो सकता तो फिर तबक़ात भी इस की बुनियाद नहीं हो सकती। मुस्लमान इसी पहलू को पेशे नज़र रखते हुए अपनी हिक्मत-ए-अमली तैय्यार करें।

अक्सरीयती तबक़ा मुस्लिम तहफ़्फुज़ात की ज़रूरत को महसूस करता ही। ताहम मजमूई तहफ़्फुज़ात पुर इसरार के नतीजे में समाजी हम आहंगी मुतास्सिर होने का अंदेशा ही। इलावा अज़ीं इस तरह के मुआमलात जब अदालत में जाते हैं तो वहां निहायत ही सख़्त रवैय्या इख़तियार किया जाता ही। प्रोफ़ैसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा ने कहा कि मुक़न्निना अगर अहल और मुख़तार है तो नीयत की कोई एहमीयत नहीं होती । उन्हों नेख़बरदार किया कि तमाम मुस्लमानों के लिए रिज़र्वेशन के मुतालिबा से ग़लत असरात मुरत्तिब होंगे और बुनियाद परस्त तबक़ा ग़लत प्रोपेगंडा कर सकता हैं। इस से मुस्लमानों को फ़ायदे के बजाय उल्टा नुक़्सान ही होगा। उन्हों ने सिर्फ मुस्लमानों के पसमांदा तबक़ात के लिए ही रिज़र्वेशन को ज़रूरी क़रार दिया। प्रोफ़ैसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा का कहना है कि मुस्लमानों केलिए ज़्यादा से ज़्यादा 80 फ़ीसद तक रिज़र्वेशन हासिल किए जा सकते हैं।

पीऐस कृष्णन साबिक़ मुशीर हुकूमत आंधरा प्रदेश ने अपने इफ़्तिताही ख़िताब में मुस्लमानों के पसमांदा तबक़ात केलिए रिज़र्वेशन की हिमायत की। पी ऐस कृष्णन ने कहा कि इस्लाम ज़ात पात की वकालत नहीं करता लेकिन हिंदूस्तानी मुस्लमानों के दरमयान पेशा की बुनियाद पर तबक़ात मौजूद हैं। इफ़्तिताही इजलास में मक़ाला निगारों और मंदूबीन की बड़ी तादाद शरीक थी। साबिक़ चीफ़ सैक्रेटरी आंधरा प्रदेश के माधव राओ भी मौजूद थी। मर्कज़ के डायरैक्टर प्रोफ़ैसर कांचा अलैह ने ख़ैर मुक़द्दम किया। समीनार के कन्वीनर डाक्टर पी ऐच मुहम्मद ने अग़राज़-ओ-मक़ासिद ब्यान किये। प्रोफ़ैसर पी ईल विश़्वेश़्वर राओ सदर शोबा-ए-तरसील आम्मा-ओ-सहाफ़त ने मुबाहिस में हिस्सा लेते हुए कहा कि ख़ानगी शोबा में मुस्लमानों के लिए रिज़र्वेशन की फ़राहमी को यक़ीनी बनाने के लिए मुहिम चलाने की ज़रूरत हैं।

प्रोफ़ैसर वीशवीशोर राओ ने अफ़सोस का इज़हार करते हुए कहा कि मीडीया का मुस्लमानों के तईं जांबदारी का रवैय्या रहा ही। उन्हों ने कहा कि बहुत कम सहाफ़ी ऐसे हैं जो मुस्लमानों के काज़ के लिए आगे आते हैं। प्रोफ़ैसर पी ईल वीशवीशोर राओ ने कहा कि असरी समाज की तशकील केलिए मुस्लमानों केलिए रिज़र्वेशन ज़रूरी हैं।

समीनार के दूसरे दिन मुमताज़ क़ानूनदां वकील शफ़ीक़ अलरहमन मुहाजिर उर्दू आर्टस इवनिंग कॉलिज के एसोसी ऐट प्रोफ़ैसर डाक्टर सय्यद इस्लाम उद्दीन मुजाहिद इस्लामिक वाइस (बैंगलौर) के ऐडीटर मक़बूल अहमद सिराज और दूसरों ने मक़ाले पेश किये। इख़ततामी इजलास में प्रोफ़ैसर ज़ोया हुस्न डीन स्कूल आफ़ सोश्यल साईंस जे एन यू दिल्ली ने इख़ततामी ख़िताबकिया। प्रोफ़ैसर कांचा अलैह ने सदारत की। डाक्टर पी ऐच मुहम्मद कन्वीनर समीनार ने रिपोर्ट पेश की।