इसलाम दहशतगर्दी के खिलाफ है। यह मजहब हमेशा से अमन का पैगाम देता रहा है। मजकुरह बातें दारुल कजा इमारते शरिया के मुफ्ती अनवर कासमी ने मेन रोड वाक़ेय राइन मस्जिद में जुमे की नमाज के मौके पर होनेवाली तकरीर में कही।
जुमा को दारुल हुकुमत के ज्यादात मस्जिदों में तकरीर के दौरान इसी पर मौलानाओं ने पैगाम दिया। मुफ़्ती कासमी ने कहा कि इसलाम लफ्ज में भी सलामती का मानी मिलता है। इस तरह ईमान के लफ्ज में अमन का पैगाम पाया जाता है। अल्लाह का एक नाम अल मोमिन (अमन देनेवाला) है। इसके अलावा एक नाम अल सलाम (सरासर सलामती) भी है। कुरान में यह भी कहा गया है कि किसी भी इनसान का नाहक खून किया गया, तो वह इस तरह है कि सारे इनसान का खून किया है।
इस तरह अगर किसी सख्स का नाहक खून होने से बचा लिया गया, तो इसका मतलब है कि पूरी दुनिया के लोगों को बचा लिया। इसलिए हर सख्स को हमेशा इससे दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि दहशतगर्दी का कोई मजहब नहीं होता है। इसलिए इसे किसी भी मजहब से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए।