लखनऊ, 05 मार्च: सयासी दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ अवामी बेदारी मुहिम के तहत आज यहां राजधानी लखनऊ के तारीख़ी रफ़ाह आम कलब में मुसलमानों के एक बड़े जलसे से ख़िताब करते हुए राज्य सभा के रुकन सय्यद मुहम्मद अदीब ने कहा कि पहले दीनी मदारिस के तलबा को दहश्तगर्दी के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किया जाता था,अब नौबत यहां तक आ गई है कि अब जदीद तालीम हासिल करने वाले मुस्लिम नौजवानों को दहश्तगर्दी के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किया जा रहा है, और फिर उन पर बरसों मुक़द्दमात शुरू नहीं किए जाते हैं।
उन्होंने सवाल किया कि क्या यही सेक्यूलर मुल्क का इंसाफ़ है। उन्होंने कहा कि ये कौनसा इंसाफ़ है कि मुस्लिम नौजवानों को 14, 14 बरस जेल में रखने के बाद रिहा कर दिया जाये। उन्होंने कहा कि होना तो ये चाहिये था कि जिन लोगों ने बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को गिरफ़्तार किया उन को सख़्त सज़ा दी जानी चाहीए।
उन्होंने यू पी के अखिलेश यादव हुकूमत से मुतालिबा किया है कि मुबय्यना मुस्लिम दहश्तगर्दी हकीम तारिक़ क़ासमी और मौलाना ख़ालिद मुजाहिद की गिरफ़्तारी की बाबत नमीन कमीशन की रिपोर्ट को मंज़र-ए-आम पर लाए। उन्होंने यू पी ए हुकूमत की दफ़ा करदा इंसिदाद गै़रक़ानूनी सरगर्मियां एक्ट के ख़तरात पर रोशनी डालते हुए कहा कि ये तरमीमी क़ानून पोटा से भी ज़्यादा ख़तरनाक है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को दहश्तगर्दी के इल्ज़ामात में फंसाने के लिए इंडियन मुजाहिदीन का ख़ाका तैयार किया गया है।
जलसा मेंकरत से मुतालिबा किया गया है कि वो मुबय्यना मुस्लिम दहश्तगरदों के मुक़द्दमात फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से तए कराए। इन अदालतों को हिदायत दी जाये कि वो साल भर के अंदर मुक़द्दमा करके फ़ैसला करदें। मरकज़ी हुकूमत ऐसा कमीशन बनाए जो 200 से 2012 तक पूरे मुल्क में तमाम दहश्त गरदाना वाक़ियात की जांच करके 6 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट दे। इस मौक़े पर इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना ख़ालिद रशीद फ़रंगी महल ने कहा कि इस्लामी दहश्तगर्दी का तो इस्तिमाल किया जाता है,लेकिन जब हिंदू दहश्तगर्दी के इल्ज़ाम में पकड़े जाते हैं तो उन के ख़िलाफ़ हिंदू दहश्तगर्दी का इस्तिमाल नहीं किया जाता है।
उन्होंने दहश्तगर्दी के हर वाक़िये को मुसलमानों से जोड़ दिया जाता है। उन्होंने सेक्यूरिटी फ़ोर्स से पूछा कि उन के पास आख़िर वो कौन से मुहर्रिकात हैं वो वाक़िये के चंद मिन्टों के अंदर बेक़सूर मुसलमान ही नज़र आते हैं।