पुणे: साबिक़ मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला सुशील कुमार शिंदे ने आज ये तरदीद की है कि यू पी ए के दौर-ए-हकूमत में उन्होंने पार्लियामेंट में हिंदू दहशतगर्दी का लफ़्ज़ इस्तेमाल किया था। उन्होंने यहां एक तक़रीब के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने पार्लियेमेंट में कभी हिंदू दहशतगर्दी का लफ़्ज़ इस्तेमाल नहीं किया।
अगर उन्होंने ये लफ़्ज़ जय पुर के कांग्रेस इजलास में इस्तेमाल किया था। लेकिन मैंने फ़िलफ़ौर दसतबरदारी इख़तियार करली। कांग्रेस लीडर की ये वज़ाहत एसे वक़्त सामने आई है जब मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला राजनाथ सिंह ने ये इद्दिआ किया कि पेशरू यू पी ए हुकूमत की जानिब से मुतनाज़ा लफ़्ज़ के इस्तेमाल के बाद दहशतगर्दी के ख़िलाफ़ एन डी ए हुकूमत की लड़ाई कमज़ोर होगई है।
मिस्टर सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि गुरुदास हमले के पेशे नज़र दहश्तगर्दी से निमटने में एन डी ए हुकूमत अपनीबे अमली से अवाम की तवज्जे हटाने की कोशिश कररही है। उन्होंने इल्ज़ाम आइद किया कि साबिक़ा एन डी ए दौर-ए-हकूमत में बाज़ अस्करीयत पसंदों की रिहाई के लिए एक तय्यारे के अग़वा (कंदहार वाक़िया) के बाद मुल्क में दहशतगर्दी को फ़रोग़ हासिल हुआ है। इस वाक़िये के बाद जम्मू-कश्मीर असेम्बली और पार्लियामेंट पर हमला किया गया था।
उन्होंने बताया कि दहशतगरदों को यू पी ए के दौर-ए-हकूमत में नहीं बल्कि एन डी ए के दौर-ए-हकूमत में तक़वियत हासिल हुई थी। साबिक़ वज़ीर-ए-दाख़िला ने ये भी तबसेरा किया कि मुंबई बम धमाकों के मुल्ज़िम याक़ूब मैमन को फांसी देने का फ़ैसला मंज़रे आम पर नहीं लाना चाहिए था और ये इस्तिफ़सार किया कि जब दहशतगरदों ने अवाम को हलाक किया था आया उन्होंने पेशगी ऐलान किया था। वाज़िह रहे कि 26/11 मुंबई पर दहशत गिरदाना हमले के मुल्ज़िम अजमल क़स्साब को पुणे के सेंटर्ल जेल में फांसी देदी गई थी। उस वक़्त सुशील कुमार शिंदे मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला थे और इंतेहाई राज़दारी में फांसी देने के बाद हुकूमत ने एलान किया था।