दहशतगर्दों के साथ क़ंधार जाने से फ़ैसला के अडवानी वाक़िफ़ थे : जसवंत सिंह

साबिक़ वज़ीर-ए-ख़ारजा जसवंत सिंह ने आज पुराने मुर्दे उखाड़ते हुए कहा कि उस वक़्त के वज़ीर-ए-दाख़िला एल के अडवानी इस मुतनाज़ा फ़ैसला से वाक़िफ़ थे कि वो (सिंह) 1999 में इंडियन एयरलाईनज़ के मग़्विया तय्यारा के यरग़मालों की रिहाई के बदले रिहा किए गए तीन दहशतगर्दों के साथ क़ंधार जा रहे थे।

जसवंत सिंह ने कहा कि उस वक़्त अडवानी और साबिक़ वज़ीर अरूण शूरा दो ही ऐसे वुज़रा थे, जिन्होंने इस फ़ैसले की मुख़ालिफ़त की थी। ये फ़ैसला ख़ुद उन्होंने (सिंह) लिया था और इसके बारे में काबीना को भी मतला किया था। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अडवानी जी को मतला करना चाहता था लेकिन मौसूफ़ उस वक़्त काबीनी इजलास में मसरूफ़ थे।

याद रहे कि उस वक़्त अडवानी ने इद्दिआ किया था कि उन्हें उसे किसी फ़ैसले का इल्म नहीं है कि जसवंत सिंह दहशतगर्दों के साथ क़ंधार जा रहे हैं। जसवंत सिंह ने इस सारे वाक़िया को अपनी किताब इंडिया ऐट रिस्क में कलमबंद किया है लेकिन इस बात का तज़किरा नहीं किया है कि उन्होंने ये फ़ैसला कैसे और क्यों किया।

ये पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अपने किए गए फ़ैसले पर पछतावा हुआ था क्योंकि उन पर उस वक़्त तन्क़ीदों की बारिश होने लगी थी जिस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हरगिज़ नहीं। उन्हें अपने फ़ैसले पर कोई अफ़सोस या पछतावा नहीं हुआ। याद रहे कि 24 दिसम्बर 1999 को इंडियन एयरलाईनज़ की खटमंडू से दिल्ली जाने वाली फ़्लाईट को अग़वा करलिया गया था और इस बोहरान का उस वक़्त ख़ातमा होगया जब फ़्लाईट के यरग़माल बनाए गए मुसाफ़िर को तीन दहशतगर्दों की रिहाई के बदले रिहा करवाया गया था।