दहशतगर्दों से लड़ते हुए मारे गए इराकी जनरल

बगदाद: इराक में जारी सियासी और फौजी बोहरान का कोई हल नहीं निकलता दिख रहा है। न तो फौज आइएसआइएस के खिलाफ कोई कामयाबी मिलती दिख रही है न ही पार्लियामेंट मुल्क को नया लीडर दे पा रही है। पीर के रोज़ दारुल हुकूमत बगदाद के नजदीक फौज के एक जनरल की दहशतगर्दों से लड़ते हुए मौत हो गई। मुल्क के नए एमपी के वज़ीर ए आज़म , सदर और स्पीकर चुनने में नाकाम रहने के बाद पार्लियामेंट को पांच हफ्तों के लिए मुल्तवी कर दिया गया है।

फौज ने बताया कि छठी डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल नग्म अब्दुल्ला अली की बगदाद से 14 किमी दूर शुमाली मगरिबी में दहशतगर्दों से लड़ते मौत हो गई है। वह आइएसआइएस को दारुल हुकूमत से दूर रखने की कोशिश कर रहे थे। इससे फौज को करारा झटका लगा है। इराकी फौज को मदद दे रहे अमेरिकी फौजी सलाहकारों ने हालांकि कहा है कि सेक्युरिटी फोर्स दारुल हुकूमत समेत अपने कब्जे वाले इलाकों की सेक्युरिटी करने के काबिल हैं। लेकिन, वह गंवाए हुए इलाके कब तक हासिल कर पाएंगे इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।

केयर टेकर स्पीकर मेहदी अल हफीद ने पीर के रोज़ पार्लियामेंट को 12 अगस्त तक के लिए मुल्तवी कर दिया। उन्होंने कहा, सभी सियासी पार्टियां अलग-अलग सिम्त में भाग रहे हैं। तीन आला ओहदो को कौन संभालेगा इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है। अमेरिका, ईरान और अकवाम मुत्तहदा पूरी दुनिया ने नए एमपी और वज़ीर ए आज़म नूरी अल मलिकी से अपील की थी कि वे मुल्क को नयी कियादत देकर इस बोहरान से बाहर निकालें।

चूंकि मलिकी तीसरी बार वज़ीर ए आज़म बनने की दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं हैं इसलिए सियासी पार्टियों में कोई समझौता नहीं हो सका। खुद मुख्तारी में कंट्रोल रखने वाले कुर्द नेता भी इस जंग को इराक से अलग होने के मौके के तौर पर देख रहे हैं।