जम्मू-ओ-कश्मीर में अस्करियत पसंदों से निमटने केलिए इंसानी हुक़ूक़ की ज़र्रा बराबर भी पामाली ना होने की हिदायत देते हुए फ़ौज की नारथरन कमान के सरबराह लेफ़टिनेंट जेनरल सनजीवछाचरा ने अफ़्वाज से कहा कि रियासत में अवाम फ़ौज की जानिब से कोई तकलीफ़ और मुश्किल पेश नहीं आनी चाहिए।
हियूमन राईट्स डे (यौम हक़ूक़-ए-इंसानी) के मौक़ा पर अपने एक पैग़ाम में उन्होंने कहा कि दहशतगर्दों से निमटने के ऑपरेशंस पर अमल आवरी के वक़्त सब्र-ओ-तहम्मूल का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। मैं जानता हूँ कि काम बेहद ही मुश्किल है लेकिन मुझे आप की सलाहियतों पर पूरा पूरा एतिमाद है।
इस बात को यक़ीनी बनाने की ज़रूरत है कि हमारे (फ़ौज) ऑपरेशंस के दौरान अवाम के ज़र्रा बराबर भी तकलीफ़ या मुश्किल का सामना नहीं करना पड़े। हम फ़ौजी ज़रूर हैं लेकिन हम अवाम के खिदमतगार हैं और साथ ही साथ इंसानी जान का हमें बेहद ख़्याल रखना चाहिए।
ये दिखना चाहिए कि इंसानी जान तल्फ़ हो। ख़ुसूसी तौर पर बच्चों और ख्वातीन के साथ हमारा बरताव इंतिहाई हमदर्दाना होना चाहिए जहां वो किसी भी फ़ौजी को अपना मसीहा तसव्वुर करें। इन उसूलों पर अमल आवरी के ज़रिया ही हम ख़ुद को मुतमइन करसकते हैं और रोज़मर्रा की ज़िंदगी सुकून से गुज़ार सकते हैं क्योंकि हम एहसास-ए-जुर्म से पाक होंगे।
प्रोफैशनल्स की हैसियत से हम अपने मुल्क की ख़िदमत करने केलिए यहां मौजूद हैं। मुझे अपने हर फ़ौजी अफ़्सर पर फ़ख़र् है और अपने फ़राइज़ की पूरा करने केलिए उनकी क़ुर्बानियों की क़दर करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि 2014 हमारे लिए इंतिहाई पुरअमन साबित होगा।